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वाह! सिमुलतला, कभी नहीं थमे तुम्हारी कामयाबियों का सिलसिला

जमुई। पिछले कई वषरें से पर्यटन का पर्याय रहे सिमुलतला अब उन 'मेधावी सम्राटों' के लिए सुर्खियों म

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 07:40 PM (IST)
वाह! सिमुलतला, कभी नहीं थमे तुम्हारी कामयाबियों का सिलसिला

जमुई। पिछले कई वषरें से पर्यटन का पर्याय रहे सिमुलतला अब उन 'मेधावी सम्राटों' के लिए सुर्खियों में आ गया जिन्होंने अपनी मेधा की बदौलत सूबे को नई पहचान दी है। 7 अगस्त 2010 को अस्तित्व में आए सिमुलतला आवासीय विद्यालय पहली बार अपनी शानदार उपलब्धियों के लिए तब चर्चा में आया था जब 2015 बिहार बोर्ड की परीक्षा में सूबे के 31 टाप-टेन छात्र छात्राओं में 20 इसी विद्यालय के थे। सिमुलतला आवासीय विद्यालय के इन छात्र छात्राओं की कामयाबियों पर तब कुछ प्रतिष्ठित व टाप क्लास के निजी शिक्षण संस्थानो के प्रबंधन ने यह दुर्भावनाग्रस्त टिप्पणी की थी कि उक्त विद्यालय के परीक्षार्थियों के लिए 'होम सेंटर' बनाए जाने के कारण ऐसी सुखद स्थिति बनी थी। प्रशासन ने उक्त टिप्पणी को चुनौती के रूप में लिया और वर्ष 2016 में सिमुलतला आवासीय विद्यालय के मैट्रिक परीक्षार्थियों का परीक्षा केंद्र झाझा बनाया गया। लेकिन दुर्भावनाग्रस्त टिप्पणी करने वाले वैसे लोगों की जुबान पर रविवार को तब ताला जड़ गया होगा जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी बिहार बोर्ड रिजल्ट के टाप-टेन में शामिल सभी 42 छात्र छात्राएं सिमुलतला आवासीय विद्यालय के ही निकले। ऐसी बात नहीं कि यहा नामाकित सभी छात्र-छात्राएं उच्च व बड़े घराने से ताल्लुकात रखते हैं। टाप-टेन की सूची में 478 अंक हासिल कर पाचवें स्थान में शामिल इस विद्यालय का छात्र रोहित कुमार लखीसराय जिले के बड़हिया प्रखंड के गढटोला गाव का रहने वाला है। उसके पिता खेतों में दैनिक मजदूरी किया करते हैं। ऐसे कई छात्र छात्राएं यहा हैं जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अर्थाभाव की चादर बिछी हुई है। किसी के पिता मोची का काम करते हैं तो किसी के पिता रेलवे कूली हैं। इसी विद्यालय का एक छात्र प्रियांशु कुमार जो पैरों से नि:शक्त है। उसके लिए नि:शक्तता नकारात्मक शब्द अथवा परिभाषा नहीं। विद्यालय के कार्यालय सहायक नवीन कुमार बताते हैं कि प्रियांशु भले ही शारीरिक रूप से निशक्त है लेकिन बोर्ड की परीक्षा में उसने 458 अंक हासिल किए हैं। यह उसके उस हौसले की उड़ान है जिससे वह अपने-सपने साकार करना चाहता है। विश्लेषण करें तो यह बात सामने आती है कि पिछले साल की तुलना में इस बार सिमुलतला ने टाप-टेन की जंग जीत कर सूबे में अपना एकाधिकार कायम कर लिया है। बस हम तो इतना ही कहेंगे कि वाह सिमुलतला! कभी नहीं थमे तुम्हारी कामयाबियों का सिलसिला।


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