आदमी और न्यायालय तो छोड़िए गंदगी में डूब गये भगवान
जमुई। अब स्वच्छता के नाम पर झाडू के साथ ना वो फोटो खिचाने वाले सत्ता और विपक्ष के लोग दिखते
जमुई। अब स्वच्छता के नाम पर झाडू के साथ ना वो फोटो खिचाने वाले सत्ता और विपक्ष के लोग दिखते हैं ना ही सरकार और प्रशासन की संजीदगी। नतीजा जमुई नगर परिषद पहले से ज्यादा नर्क में डूब गया। हाल ही में नगर परिषद के संपन्न चुनाव में उम्मीदवारों ने जिस तरह विधायक सांसद चुनाव से ज्यादा पैसा बहाया लगा जमुई को बदलकर ही दम मानेंगें। सरकार के नेता मंत्री और विपक्ष के लोगों ने चेयरमैन चुनने के लिए जैसी मेहनत की अगर उसका कुछ हिस्सा ही जमुई के कायाकल्प के लिए लगा देते तो जमुई सुन्दर बन जाता।अभी जमुई में मानसून ने दस्तक नहीं दी है और बारिश भी बस थोडी बहुत हुई है तब गंदे पानी में 6 महीने डूबा रहने वाला जमुई का मुहल्ला अभी से नाले के पानी में डूब गया है। शहर के कचहरी चौक पर जमुई व्यवहार न्यायालय के गेट पर पांच फीट गंदा नाले का पानी और बजबजाती गंदगी में पनपते खतरनाक बीमारी वाले मच्छर तो दूसरी तरफ कोर्ट परिसर के अंदर नाले में शहर के गंदे पानी में सूअर अठखेलियां कर रहे हैं। जिला जज कोर्ट के ठीक सामने हजारों वकीलों और मुविक्कलों के शौच के लिए कोर्ट परिसर के अंदर बने सुलभ शौचालय में पिछले करीब एक महीने से घुटने से ज्यादा पानी जमा होने के कारण शौचालय बंद है। नतीजा लोग कोर्ट परिसर के अंदर दीवार से सटकर खुले में शौच करने को विवश हैं। कचहरी चौक पर साईंबाबा मंदिर के चारों ओर लगातार नाले का गंदा पानी जमा रहने के कारण आदमी तो आदमी भगवान भी त्राहिमाम कर रहे हैं। देश में इस समय स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने की दिशा में सूखा और गीला कचरा जमा करने के लिए अलग अलग रंग के डस्टबिन लगाने की कवायद चल रही है। जमुई नगर परिषद में संसाधन की कोई कमी नहीं है तरह तरह की मशीनें गंदे पानी को सोंख कर गंदगी दूर करने में सक्षम है। उसपर जमुई नगर परिषद में नये युवा वार्ड काउन्सलर की उर्जावान टीम चुनकर आ गई है। मानसून बस आने ही वाला है पर पहले से नर्क में डूबे जमुई को और डूबने से बचाने की कोई कोशिश अभी जमीन पर नहीं दिख रही है। हद तो यह कि जिले के प्रधान जिला जज और उनसे भी उपर पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सह जमुई के निरीक्षी न्यायाधीश ने समीक्षा बैठक में गंदगी का मसला प्रशासन के समक्ष उठाया पर सारी बातें अनसुनी हो गई।