सभ्यता एवं संस्कृति को सर्वदा जीवित रखें : मेजर
जमुई। पिता अस्तित्व है। पिता पहचान है। हम सब मिलकर पितृ दिवस पर अपने-अपने पिताओं के प्रति श्रद्ध
जमुई। पिता अस्तित्व है। पिता पहचान है। हम सब मिलकर पितृ दिवस पर अपने-अपने पिताओं के प्रति श्रद्धा, भक्ति और सम्मान देकर हम अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को सदा-सर्वदा जीवित रखें। उपरोक्त बातें सिमुलतला स्थित द साल्वेशन आर्मी के हॉस्टल परिसर में आयोजित पितृ दिवस के अवसर पर बोलते हुए मेजर बेंशनलाल ने कहा। मेजर ने कहा कि आज हमारी सभ्यता और संस्कृति विलुप्त होते जा रही है। हम अपनों को भूलते जा रहे है। मेजर ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा पितृ दिवस पर आज पूरा विश्व अपने पिता को याद कर रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पितृ दिवस सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 5 पांच जुलाई 1908 को मनाया गया था। 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मरे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस को यह आयोजन ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने शुरुआत की थी। जून के तीसरे रविवार को पितृ दिवस विश्व के ज्यादातर देशों में मनाया जाता है। पितृ दिवस पर होस्टल के बच्चों ने मेजर को उपहार देकर पितृ दिवस की बधाईयां दी। मौके पर कैप्टेन रीटा, कैप्टेन चौड़े, छात्र कांग्रेस, अर्जुन, अर्पिता, शिला, मिथुन अरविन्द, नीरज, जीतन आदि उपस्थित थे।