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जल संरक्षण से परती जमीन में आई हरियाली

जमुई। जब सूबे में सुखाड़ की स्थित से लोग परेशान थे तो गांधी विचारक शिवानंद भाई ने जल संरक्षण का संकल्प लिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 03:02 AM (IST)
जल संरक्षण से परती जमीन में आई हरियाली
जल संरक्षण से परती जमीन में आई हरियाली

जमुई। जब सूबे में सुखाड़ की स्थित से लोग परेशान थे तो गांधी विचारक शिवानंद भाई ने जल संरक्षण का संकल्प लिया। विनोवा भावे से प्रेरणा लेकर शिवानन्द भाई ने सत्तर के दशक में सिमुलतला में आधा दर्जन तालाब खुदवाया। साथ ही फलदार पौधे लगाए। इस प्रयास का रंग दिखा और तालाब में संरक्षित जल का उपयोग किसान खेती में करने लगे। तब से लेकर आज तक शिवानन्द भाई ने जल संरक्षण के क्षेत्र में कई ऐसे कार्य को अंजाम दिया जो समाज के बीच मिसाल बना है। सिमुलतला ग्राम भारती के संस्थापक सह वयोवृद्ध गांधी विचारक शिवानंद भाई ने झाझा, सोनो एवं चकाई प्रखंड में एक लाख बीस हजार फलदार पेड़ लगवाए। साथ ही 580 की संख्या में आहार, तालाब का निर्माण, 1860 कूपों की खुदाई, 48 उदवह का निर्माण कर जल संरक्षण में महती भूमिका निभाई। जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्य से 1256 एकड़ परती भूमि का विकास के कार्य की जीवटता को साबित करती है। ग्रामीणों के सहयोग से पानी के क्षरण को रोककर जमीन में पानी के स्तर को बरकरार रखने के लिये क्षेत्रवासियों में उन्होंने विशेष जागरूकता लाया। इस प्रयास से क्षेत्र के किसानों में कृषि के प्रति विशेष झुकाव हुआ। जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए शिवानन्द भाई द्वारा सिमुलतला स्थित पौधशाला, अमररायडीह के दधिची आश्रम, लीलावरण धीरेंद्रग्राम, सर्वोदय आश्रम घोरमो चकाई, गिरीजन सेवाश्रम गो¨वदपुर चकाई, वनवासी सेवाश्रम गगनपुर चकाई, सर्वोदय आश्रम सोनो, सर्वोदय आश्रम बोड़वा झाझा समितियां संचालित है।

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अस्सी बसंत पार कर चुके शिवानन्द भाई के जोशोखरोश में आज भी कोई कमी नहीं देखी जा रही है। वह आज भी अपने सहयोगियों के साथ पेड़-पौधे की संरक्षा एवं सुरक्षा के प्रति दिलचस्पी दिखाते हैं। सरकार के नीति से दुखी शिवानन्द भाई जल क्षरण को रोकने के लिए जलछाजन कार्यक्रम चला रही है लेकिन यह कार्यक्रम कुछ एक लोगों के लिए लूटखसोट का साधन बन गया है।


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