अंग्रेजी हुकूमत में बने पुल-पुलिया सफर में बाधक
जमुई। चिकनी सपाट सड़कों पर अब वाहन फर्राटे भर रही है।
जमुई। चिकनी सपाट सड़कों पर अब वाहन फर्राटे भर रही है। पिछले पांच वर्षों में जमुई को दो एनएच का तौहफा मिला है। बरियारपुर से झारखंड सीमा तक एनएच-333 तथा बरबीघा से बांका को जोड़ने वाली एनएच 333 (ए) पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है। नतीजतन आवागमन की सुलभता बढ़ी है तो दूसरी ओर परेशानियां भी बढ़ गई है। दरअसल इन दो राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब भी कई पुल-पुलिया ऐसे हैं जिनका निर्माण अंग्रेज जमाने में हुआ। इन पुल-पुलियों की चौड़ाई कम है ऐसे में जाम व सड़क दुर्घटना की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बड़ी बात यह है कि सड़कों का चौड़ीकरण तो हुआ लेकिन पुल-पुलियों का स्वरूप नहीं बदला।
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सुरक्षित निकले तो सिकन्दर
जमुई से चकाई के बीच बटिया घाटी में चिरेन पुल के बारे में यही कहा जाता है कि जो सुरक्षित निकल गया वह सिकन्दर। दरअसल जमुई से देवघर जाने का यह एक मात्र मार्ग है। जिसे अब राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल गया है। एक तरफ तीखी घाटी तो दूसरी तरफ लुटेरों का डर। इसलिए घाटी पार करने के दौरान वाहनों की रफ्तार तेज होती है। घाटी के ठीक बीच में चिरेन पुल है जिसकी चौड़ाई कम है। साथ ही दोनों तरफ उंची पहाड़ी है। लिहाजा सामने से आने वाली वाहनें दिखाई नहीं पड़ती। इस लिए अक्सर चिरेन पुल पर दुर्घटनाएं होती रहती है या फिर वाहनों के खराब होने पर जाम लग जाती है। इसी प्रकार लक्ष्मीपुर के पास कैरवार नदी पर बने लोहे की पुलिया की चौड़ाई महज 12 फीट है। इन दोनों पुल-पुलिया का निर्माण अंग्रेज हुकूमत में हुआ था। ऐसे आधा दर्जन से अधिक पुल-पुलिया सुरक्षित सफर में अब भी बाधक बने हैं।
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फोटो 27 जमुई-5,6,7,8
जमुई के शाहपुर निवासी सिकन्दर कुमार कहते हैं कि सरकार ने ग्रामीण सड़कों का भी निर्माण कराया लेकिन कई सकरी पुलिया के कारण परेशानी होती है। एनएच 333 पर चिरेन पुल बड़ा ही खतरनाक साबित हुआ है।
¨सगारपुर के अर¨वद साह का कहना है कि एचएच 333 ए पर नरियाना पुल की स्थिति जर्जर हो गई है जबकि संपर्क पथ ऐसा है कि आए दिन वहां दुर्घटनाएं होती है।
नवडीहा के वशिष्ठ साह ने कहा कि जमुई की सड़कें अच्छी है। पुल-पुलिया के निर्माण हो जाने से आवागमन की सुविधा सुरक्षित हो जाएगी।
देवेन्द्र कुमार का कहना है कि जमुई के कई नदियों पर पुल बना है। लेकिन संपर्क पथ का निर्माण सही तरीके से नहीं किया गया। गरसंडा पुल का संपर्क पथ आज भी खतरनाक साबित हो रहा है।