आरटीआइ को लेकर डीएम कार्यालय गंभीर नहीं
जमुई। सूचना का अधिकार कानून की अनदेखी करने की बात यूं तो आम बात हो गई है लेकिन जब जिलाधिकारी के कार्
जमुई। सूचना का अधिकार कानून की अनदेखी करने की बात यूं तो आम बात हो गई है लेकिन जब जिलाधिकारी के कार्यालय से अनदेखी होने लगे तो अन्य अधिकारियों का रवैया क्या होगा। आपदा प्रबंधन से आगजनी के शिकार लोगों को सहायता मद में दी गई राशि और अनाज से संबंधित जानकारी आरटीआइ कार्यकर्ता गिरीश ¨सह ने मांगी थी। सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने प्रथम अपील मुख्य सचिव के कार्यालय में की। वहां से भी जिलाधिकारी कार्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी को सूचना मुहैया कराने के लिए निर्देशित किया गया। फिर भी आरटीआइ कार्यकर्ता को सूचना नहीं मिली। मजबूरन आरटीआइ कार्यकर्ता ने द्वितीय अपील में बिहार राज्य सूचना आयोग को सूचना नहीं मिलने की शिकायत दर्ज कराई है।
क्या है मामला
सिकन्दरा प्रखंड के रवैय निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता गिरीश ¨सह ने आगजनी की घटना में पीड़ित परिवार को जनवितरण विक्रेता से खाद्यान्न दिलवाने तथा नकद सहायता राशि मुहैया कराने की जानकारी 19 जनवरी 2017 को जिला पदाधिकारी से मांगी थी। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन के अवर सचिव द्वारा कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी को निर्देशित पत्र के आलोक में की गई कार्रवाई की जानकारी की मांग की गई थी। निर्धारित अवधि पूर्ण होने तक सूचना नहीं मिलने पर 14 फरवरी 2017 को मुख्य सचिव के कार्यालय में प्रथम अपील की गई। पुन: मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग से अपर सचिव ने जिला लोक सूचना पदाधिकारी को जानकारी मुहैया कराने को लेकर पत्र प्रेषित किया। बहरहाल, जिला लोक सूचना पदाधिकारी के कार्यालय के इस रवैये से आरटीआइ कानून के प्रति अधिकारियों की संजिदगी स्पष्ट हो जाती है। निचले स्तर के अधिकारियों पर जब आरटीआइ कानून की अवहेलना की बात आती है तो लोग जिला लोक सूचना पदाधिकारी के कार्यालय से न्याय की उम्मीद लगाते हैं। ऐसे में लोगों के लिए राज्य सूचना आयोग के अलावा कोई रास्ता नहीं बच जाता है और यही रास्ता अख्तियार करते हुए आरटीआइ कार्यकर्ता ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
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कोट
आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा मांगी गई सूचना उनके संज्ञान में नहीं है। मामले की जांच कर आवेदक को वांछित सूचना उपलब्ध कराई जाएगी।
डॉ. कौशल किशोर
जिलाधिकारी