जीर्णोद्धार की आस में लगमा का हथिया पोखर
जमुई। जल संरक्षण को लेकर वैश्विक ¨चता के तहत विश्व जल दिवस पर नाबार्ड ने देश के एक लाख गांव में जहां
जमुई। जल संरक्षण को लेकर वैश्विक ¨चता के तहत विश्व जल दिवस पर नाबार्ड ने देश के एक लाख गांव में जहां भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन हुआ है वहां जल जीवन है अभियान शुरू किया है। इस अभियान में 22 राज्यों के दौ सौ जिलों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बिहार के दस जिलों में जमुई भी शामिल है। जमुई वृष्टि छाया क्षेत्र में शामिल है। जहां का वर्षानुपात अन्य जिलों की अपेक्षा कम है। भू-गर्भ जल का दोहन मामले में भी जमुई का स्थान अव्वल है। इस अभियान के तहत अब तक 360 गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जा चुका है। इस दौरान जो सर्वे रिपोर्ट है वह जमुई के लोगों के लिए ¨चता का विषय है। जिले में 1300 आहर, आठ सौ तालाब, सात सौ पैइन, दो हजार कुआं तथा 200 चेक डैम जर्जर हालत में है। वैश्विक ¨चता और जल संचयन के लिए पानी की तरह रुपये बहाए जाने के बावजूद जलाशयों की दुर्गति जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए अति कष्टकारक है। दैनिक जागरण की ओर से हालात तालाबों के तहत जारी अभियान के 13 वें दिन शहर के वार्ड 15 लगमा में हथिया पोखर का जायजा लिया गया। हाथिया पोखर का नाम के अनुरुप दायरा भी जल संचयन क्षेत्र साढ़े तीन एकड़ में फैला है। इस तालाब से लगमा गांव के बड़े भू-भाग पर ¨सचाई होती थी। वर्तमान में सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैया के कारण तालाब का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। हथिया पोखर का जीर्णोद्धार कब हुआ यह ठीक से लोगों को याद नहीं है। अतिक्रमणकारियों ने भी चारों ओर से तालाब की जमीन को कब्जा कर रखा है। डेढ़ सौ वर्ष पुराना तालाब लगमा के लोगों के जीविका का साधन है। लगमा निवासी शैलेन्द्र शर्मा, जयरानी देवी, मदन महाराज, अवधेश ¨सह, पंकज ¨सह, परशुराम शर्मा आदि ने तालाब के जीर्णोद्धार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि तालाब की मापी कराकर इसमें घाट निर्माण, बांध पर पौधरोपण कर अतिक्रमण मुक्ति कराने के साथ-साथ तालाब का सौंदर्यीकरण भी संभव है।