एकड़ में फैला ठुड़राही तालाब सिमटा डिसमील में
जमुई। जल ही जीवन है, यह सभी जानते हैं। प्रचीनकाल से जल की उपयोगिता के लिए तालाब, आहर, कुएं की अवधारण
जमुई। जल ही जीवन है, यह सभी जानते हैं। प्रचीनकाल से जल की उपयोगिता के लिए तालाब, आहर, कुएं की अवधारणा रही है। जल संचयन के उन साधनों से पर्यावरण को क्या लाभ होगा इससे शायद ही सभी लोग तब अवगत होंगे। वर्तमान परिवेश में जब जागरूकता बढ़ी अथवा लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरू हुआ तब उसके अस्तित्व पर भी खतरा बढ़ने लगा। हर जगह लोग तालाब, आहर के अस्तित्व को मिटाने में लगे हैं। तालाब का गंदा पानी भू-गर्भ जल को भी प्रदूषित कर रहा है। स्वार्थ में अंधे हो चुके लोग पर्यावरण और भविष्य दोनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसी ही स्थिति दैनिक जागरण के अभियान हालात तालाबों के तहत शहर के नीमा और भछियार मुहल्ला के मध्य में अवस्थित ठुड़राही पोखर का मुआयना किया गया। एक एकड़ में फैला तालाब सिमटकर डिसमील में आ गया है, या यूं कहें कि अतिक्रमणकारियों का मनसूबा कामयाब हुआ और तालाब की जमीन पर महल बनाकर ऐशोआराम की जिन्दगी जी रहे हैं। स्थानीय निवासी संजय पांडेय, सुधीर ¨सह, समरजीत ¨सह, बबलू, लाटो ¨सह, डब्लू, कन्हैया यादव, भवेश यादव, नवीन साव समेत कई अन्य ने बताया कि तालाब का सौ वर्ष से भी पुराना इतिहास है। इस तालाब से पटवन के साथ-साथ मत्स्य पालन किया जाता था। वर्तमान में इसकी स्थिति यह है कि अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। सरकार की योजनाओं से तालाब का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की दिशा में शहरी क्षेत्र के तालाबों के लिए कोई खास योजना नहीं है। परिणामस्वरूप शहर में तालाबों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। हर जगह सरकारी उपेक्षा का शिकार तालाबों पर अतिक्रणकारियों का कहर जारी है।
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कहते हैं नप अध्यक्ष
नगर परिषद अध्यक्ष रेखा देवी शहर में तालाबों की दुर्दशा पर ¨चता जाहिर करते हुए कहती हैं कि शहरी क्षेत्र में तालाबों का अस्तित्व बरकरार रखने के लिए जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों से बात कर समाधान निकाला जाएगा। जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े सभी तालाबों को चिन्हित करने का निर्देश कार्यपालक पदाधिकारी को दिया गया है। इसके साथ ही अंचल अधिकारी को भी आहर और तालाबों की सूची रकवा सहित उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया है।