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नाली जाम, थोड़ी सी बारिश में तालाब सा दिखता है सड़क

जमुई। शहर का अधिकतर नाला जाम है। जब नगर परिषद की नींद खुलती है तो उन नालों की सफाई होती है। स्थिति ऐ

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 01:00 AM (IST)
नाली जाम, थोड़ी सी बारिश में तालाब सा दिखता है सड़क
नाली जाम, थोड़ी सी बारिश में तालाब सा दिखता है सड़क

जमुई। शहर का अधिकतर नाला जाम है। जब नगर परिषद की नींद खुलती है तो उन नालों की सफाई होती है। स्थिति ऐसी है कि थोड़ी सी बारिश में सड़कों पर तालाब सा नजारा दिखाई पड़ने लगता है। बुधवार को वार्ड 20 में झाड़ू लगाने वाली दो महिला सफाई कर्मी सड़क पर झाड़ू लगाती दिखीं। वहीं एक सफाई कर्मी घर-घर से कचरा ले रहा था। नाले की सफाई का जिम्मा जिस मजदूर पर था वह सिर्फ नाले के किनारे की झाड़ियों को काटकर हटा रहा था। शहर का अधिकतर नाला कवर्ड है। ऐसे में उसके प्लेट को हटाकर नाले की सफाई का जोखिम शायद ही उठाया जाता है। नाला ऊपर से ढका होने के कारण वह जाम है या उसमें से गंदा पानी निकलता है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। वार्ड 19 कृष्णपट्टी मुहल्ले के मुख्य सड़क पर साई बाबा मंदिर के समीप पिछले एक सप्ताह से पानी भरा है। पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है। बरसात के मौसम से पूर्व नगर निकाय के चुनाव में रमा नप प्रशासन को इसकी ¨चता नहीं थी कि बारिश के दिनों में होगा क्या। अब जब चुनाव समाप्त हो गया है तो भी बड़े-बड़े नालों की सफाई नहीं हो रही है। सफाई कर्मचारी हर वार्ड में जाते तो हैं पर छोटी-छोटी नालियों को साफ करते हैं। शहर को चकाचक रखने के लिए प्रतिमाह 10 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, बावजूद परिणाम सिफर है। नगर परिषद का कोई वार्ड ऐसा नहीं है जिसको सफाई के मामले में आदर्श वार्ड माना जा सके। अमूमन रविवार को छुट्टी के दिन लोग घरों की सफाई करते हैं, इसके विपरीत नगर परिषद का सफाई अभियान रविवार को बंद रहता है।

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नहीं होता है कीटनाशक का छिड़काव

पहले बरसात के दिनों में नालियां साफ कर उसमें ब्ली¨चग पाउडर एवं कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाता था ताकि बीमारी फैलाने वाले कीटाणु मर जाएं। अब ऐसा नहीं होता है। कभी-कभार फॉ¨गग मशीन से मच्छर भगाए जाने की दवा शहर में धुएं के रूप में बिखेर दी जाती है। इससे मच्छरों पर कोई असर नहीं होता। मच्छर से शहरवासी परेशान ही रहते हैं।

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186 मजदूर करते हैं शहर की सफाई

नगर परिषद के 30 वार्ड की सफाई के लिए 186 मजदूरों को लगाया गया है। ये मजदूर रविवार को छोड़ सप्ताह में हर दिन सफाई का काम करते हैं। मजदूरों के हिसाब से प्रति वार्ड में 6 सफाई मजदूरों की तैनाती कागजों पर दिखती है, हकीकत कुछ और है। एक वार्ड का जिम्मा दो से तीन मजदूरों को ही दिया गया है।

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सफाई पर 10 लाख प्रतिमाह होता है खर्च

21 वर्ग किमी में फैले नगर परिषद की सफाई के लिए प्रतिमाह 10 लाख रुपये से अधिक का खर्च होता है। साल में यह आंकड़ा डेढ़ करोड़ के आसपास पहुंच जाता है। हैरानी की बात यह है कि कोई ऐसा वार्ड नहीं जहां कचरों का ढेर और गंदगी देखी नहीं जा सकती है। सफाई के लिए जो गाड़ियां चलाई जाती है उसके चालक के पीछे डेढ़ लाख रुपये का खर्च प्रतिमाह आता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो 10 लाख खर्च के बावजूद शहर में सफाई नहीं दिखती।

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सफाई में लगी है 16 गाड़ियां

नगर परिषद क्षेत्र में सफाई के लिए 16 गाड़ियां लगी हैं। भले ही एक ट्रैक्टर खराब हो पर 2 ट्रैक्टर प्रतिदिन कार्य करता है। इसके अलावा 5 मैजिक, 5 ऑटो टीपर, 1 जेसीबी, 2 बॉब-कैट और 1 सैक्शन मशीन सफाई के कार्यो में प्रतिदिन लगे होने के बावजूद शहर में स्वच्छता की तस्वीर नहीं दिखती।

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फोटो- 21 जमुई- 15

नालों की सफाई के लिए सभी सफाई कर्मियों को निर्देश दिया गया है। पिछले तीन दिनों से नाले की सफाई का काम युद्धस्तर पर हो रहा है। एक सप्ताह में शहर के सभी नालों की सफाई सुनिश्चित होगी। शहर को साफ-सुथरा बनाना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए सभी कर्मी को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

रेखा देवी, नप अध्यक्ष


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