शराबबंदी से अवैध धंधेबाजों की पौबारह
जमुई : बीते 5 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की तो लगा कि शराब और शराबिय
जमुई : बीते 5 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की तो लगा कि शराब और शराबियों से दर्शन दुर्लभ हो जाएगा लेकिन, कुछ दिनों तक लुका-छिपी का खेल चला परंतु धीरे-धीरे शराब पीने वालों को शराब का दर्शन आसानी से होने लगा। जमुई में शराब माफिया से सांठगांठ के आरोप में किसी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई नहीं की गई है। अवैध शराब कारोबारियों के प्रति पुलिस व उत्पाद विभाग भी मेहरबान रहा है। यह पुलिस का आंकड़ा खुद ही बयां कर रहा है। शराबबंदी को सफल बनाने के लिए जिले भर में 210 छापेमारी की गई। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी दस थानों की पुलिस द्वारा प्रतिदिन एक-एक छापेमारी भी की गई होती तो छापेमारी की संख्या पुलिस आंकड़े में लगभग 3500 के आसपास होनी चाहिए थी। यह आंकड़ा बताता है कि जिले भर की पुलिस प्रतिदिन औसतन एक छापामारी भी नहीं की। पुलिस से शराब कारोबारियों के सांठगांठ होने के आरोप यूं तो लगते ही रहे हैं लेकिन बीते 10 फरवरी को शहर के दो युवक की हुई हत्या के बाद उसके परिजनों ने जो बयां किया वह पुलिस को शर्मसार करने के लिए काफी था। मृतक खुर्शीद की बहन परवीन खानम ने स्वयं स्वीकार किया था कि उसका भाई अवैध शराब का कारोबार जमुई के तत्कालीन थानाध्यक्ष संजीव कुमार ¨सह के संरक्षण में करता था। उसने और भी कई गंभीर आरोप मीडिया के समक्ष लगाए थे। आरोप में दम भी दिखता है। शराब बरामदगी में पुलिस की स्टोरी पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि अधिकांश बरामदगी शराब की खेप ले जाने के दौरान ही सड़क व रेल मार्ग पर हुई है। शराब उपलब्धता की बात करें तो शहर से लेकर गांव तक ऊंची कीमत पर होम डिलीवरी की सेवा उपलब्ध है। कुल मिलाकर शराबबंदी अवैध कारोबारियों के साथ पुलिस के लिए भी वरदान साबित हुआ, या यूं कहें कि उनके अवैध कमाई में एक और आइटम जुड़ गया।
इनसेट
जमुई में एक हजार से 1200 रुपये में एक बोतल शराब मिलती है। शराब के लिए खरीदार को कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है। ग्रामीण इलाके में अवैध चुलाई कर तैयार शराब 150 से 200 रुपये प्रति बोतल उपलब्ध है। शराबबंदी का इतना असर जरूर है कि शराब पीने के बाद शोर-शराबा करते नजर नहीं आते हैं।