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नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना होता है 'हाइडआउट'

जमुई। यूं तो भौगोलिक दृष्टि से पहाड़ी का दुर्गम स्थलों को नक्सली पनाहगाह बनाते हैं। ये वैसे क्षेत्र ह

By Edited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 12:51 AM (IST)Updated: Fri, 28 Oct 2016 12:51 AM (IST)
नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना होता है 'हाइडआउट'

जमुई। यूं तो भौगोलिक दृष्टि से पहाड़ी का दुर्गम स्थलों को नक्सली पनाहगाह बनाते हैं। ये वैसे क्षेत्र होते हैं जहां पुलिस की पहुंच नहीं हो। चरकापत्थर क्षेत्र का दक्षिणी हिस्सा पूरी तरह पर्वतीय श्रृंखलाओं से घिरा है। पहाड़ के उस पार झारखंड का पहाड़ी इलाका है। उत्तरी छोटानागपुर की यह पर्वतीय श्रृंखला बिहार व झारखंड के नक्सलियों का सेफजोन रहा है। इधर चरकापत्थर में थाने का अस्तित्व में आ जाना व एसएसबी की तैनाती कर दिए जाने से इस इलाके की तस्वीर बदलने लगी है। सशस्त्र सीमा बल ने बुधवार की रात खिजुरा पहाड़ी पर नक्सलियों के ठिकाने को ध्वस्त कर दिए जाने का दावा किया है। हथियार, कारतूस, बारुद सहित कई सामग्रियां पुलिस ने वहां से बरामद की है। दरअसल खिजुरा पहाड़ी के हाइडआउट का पता लगा लेना है एसएसबी की एक बड़ी कामयाबी है। नक्सली कैम्प का पता लगाना पुलिस के लिए आसान है लेकिन हाइडआउट ऐसे दुरुह दुर्गम क्षेत्रों में होते हैं जिसकी जानकारी नक्सली संगठन के कुछ चुनिंदा सदस्यों को ही होती है। खिजुरा पहाड़ी पर बनाए गए हाइडआउट यानी नक्सली ठिकाने का पता लगाना एसएसबी के लिए दुरुह कार्य था। दरअसल वहां जो ट्रंक पाया गया वह सामान्य ट्रंक नहीं था। उसे उस दुरुह स्थल तक ले जाया गया होगा इससे पुलिस भी आश्चर्यचकित है। नक्सल विरोधी अभियान में शामिल रहने वाले पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाइडआउट का मतलब होता है सुरक्षित ठिकाना। यह ठिकाना पहाड़ों की गुफाएं भी हो सकती है अथवा जंगल में विशालकाय पेड़ों की खोह भी। हाइडआउट में नक्सली अपने हथियार अथवा दैनिक आवश्यकताओं के लिए लाई गई सामग्रियों को भी रखा करते हैं।


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