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नक्सलियों के मांद से कैसे हुई मूर्ति चोरी

जमुई। जैनियों के आस्था का केन्द्र भगवान महावीर की जन्मस्थली सिकन्दरा के लछुआड़ में पहाड़ी पर अवस्थित म

By Edited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 07:29 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 07:29 PM (IST)
नक्सलियों के मांद से कैसे हुई मूर्ति चोरी

जमुई। जैनियों के आस्था का केन्द्र भगवान महावीर की जन्मस्थली सिकन्दरा के लछुआड़ में पहाड़ी पर अवस्थित मंदिर तक पहुंचना ही मुश्किल और दुरुह नहीं है बल्कि नक्सलियों का मांद होने के बावजूद आखिर किसने यहां से मूर्ति चोरी कर ली, यह इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह वही इलाका है जहां आसपास नक्सलियों के शीर्ष कमांडर की हत्या के विरोध में कोड़ासी गांव में नक्सलियों ने नरसंहार कर ग्यारह लोगों को मार डाला था। यहां आम चोर-लुटेरे और टुच्चे किस्म के अपराधी अंजान रास्ते के अलावे नक्सलियों के मांद में घुसने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं। यहां दिनदहाड़े भी पुलिस बिना तैयारी के अमूमन नहीं जा पाती थी। लेकिन जैन यात्रियों के इस धर्म स्थली को धर्मावलंबियों से मुलाकात के बावजूद नक्सली कभी नुकसान नहीं पहुंचाते रहे। इस कारण देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में तीर्थ यात्रियों का यहां आना-जाना लगा रहा। इतना ही नहीं लोगों की आस्था का केन्द्र भगवान महावीर का जन्मस्थान बड़े पदाधिकारियों, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तक के लिए कौतूहल का विषय रहा और उनकी यात्रा के दौरान भी उन्हें गुपचुप तरीके से यहां मंदिर में पूजा के लिए नक्सली वारदात से बचाते हुए लाया जाता था। कहा जाता है कि सिकन्दरा के बॉर्डर से लगे नवादा और बिहार शरीफ के इलाके में तस्करों तथा मूर्ति चोरों का बड़ा गिरोह पड़ाव डाले हुए है जो वर्षो से आसपास के इलाके के मंदिरों से बेसकीमती मूर्तियों को चुराकर यहां से छुपते-छिपाते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजकर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। पुलिस को भी कहीं न कहीं ऐसे लोगों की भनक रही है। अब यह अलग बात है कि भगवान महावीर की वर्षो पुरानी मूर्ति चोरी होने के कारण यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया और मूर्ति की तलाश में पुलिस पदाधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। इतना तो तय है कि जन्मस्थान की दुर्गम पहाड़ी पर बिना स्थानीय लोगों के सहयोग के चोरी की घटना को अंजाम देना संभव नहीं है जिन्होंने कई बार तीर्थ यात्रियों से लूट एवं मारपीट की वारदात को अंजाम दिया था।


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