गैर-राजनीतिक राष्ट्रपति थे डॉ. कलाम : भाकपा
संवाद सहयोगी, जमुई : हिंदुस्तानियत और इंसानियत के मिसाल भारत के महान राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉ. एपीजे
संवाद सहयोगी, जमुई : हिंदुस्तानियत और इंसानियत के मिसाल भारत के महान राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पहले और अंतिम गैर- राजनीतिक राष्ट्रपति होंगे जिन्होंने गरीबी से निकलकर एक वैज्ञानिक के रूप में अपने देश का पूरी दुनिया में मान-सम्मान बढ़ाया।
देश का सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न समेत पद्मभूषण, पद्मविभूषण और पद्मश्री पाने के बावजूद उनके रहन-सहन, व्यवहार-विचार में कोई परिवर्तन नहीं आया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से जिला कार्यालय में आयोजित शोक श्रद्धांजलि समारोह में भाकपा के जिला सचिव नवलकिशोर सिंह ने उक्त बातें उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि एक खास पद पर रहकर भी वे आम इंसान बने रहे। लोगों के हृदय पर सम्राट की तरह राज करने वाले कलाम युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत थे। उन्होंने कहा कि कलाम के निधन से जो क्षति हुई है, उसे पूरा करना असंभव है।
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जिला विधिज्ञ संघ ने भी
कलाम को दी श्रद्धांजलि
जमुई : जमुई जिला विधिज्ञ संघ की ओर से बुधवार को एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इसमें जिला न्यायालय में कार्यरत सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ताओं ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के निधन पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष शर्मा चंदेश्वर उपाध्याय तथा महासचिव सकलदेव यादव के अतिरिक्त बार के सभी वरीय एवं कनीय अधिवक्ताओं ने मिसाइल मैन के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके सादगीपूर्ण जीवन की चर्चा की और इसे अपूरणीय क्षति बताया। कुछ अधिवक्ता उनके निधन पर कोर्ट में कार्य से अलग रहने की बात कह रहे थे तो वहीं कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अब्दुल कलाम ने अपनी मौत से पहले कहा था कि उनकी मौत पर शोक और छुट्टी की बजाय ज्यादा काम किया जाए इस कारण कोर्ट में छुट्टी करना उचित नहीं है।