चकाई थाना के पुलिसकर्मी असुरक्षित
संवाद सूत्र, सरौन(जमुई): दूसरे को सुरक्षा का दावा करने वाले चकाई थाना के पुलिस कर्मी खुद ही असुरक्षि
संवाद सूत्र, सरौन(जमुई): दूसरे को सुरक्षा का दावा करने वाले चकाई थाना के पुलिस कर्मी खुद ही असुरक्षित हैं। अंग्रेजों के समय में निर्मित चकाई थाने के खपड़ैल भवन की स्थिति इतनी जर्जर हो गई है कि वह कभी भी धराशायी हो सकता है तथा उसके नीचे दबकर उसमें निवास करने वाले किसी भी पुलिसकर्मी की जान जा सकती है। बताया जाता है कि चकाई थाने में बने सभी खपड़ैल मकान का निर्माण लगभग 95 साल पूर्व 1925 ई. में हुआ था तथा इतने दिनों बीत जाने के बावजूद केवल मरम्मती के सहारे इन मकानों में पुलिस कर्मी रहने को मजबूर हैं। थानाध्यक्ष उपेन्द्र कुमार यादव बताते हैं कि कई बार लकड़ी तथा खपड़ा टूट कर गिर जाता है जिस कारण हमारे जवान भगवान का नाम लेकर उक्त जर्जर कमरे में रतजगा कर सुबह होने का इंतजार करते हैं। ऊपर से बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है। एक तरफ तो बारिश की बूंदों से बचने हेतु खपड़ा के ऊपर प्लास्टिक बिछाना पड़ता है। वहीं सर्प-बिच्छु का अलग भय सताता है। वहीं करोड़ों की लागत से पिछले पांच वर्ष पूर्व चकाई थाने में मॉडल भवन थाना निर्माण का कार्य शुरू हुआ। मगर संवेदक की लापरवाही के कारण अभी तक भवन अधूरा पड़ा है। वर्तमान जमुई एसपी जयंतकांत को चकाई थानाध्यक्ष द्वारा मॉडल थाना भवन की सुस्त रफ्तार कार्य होने तथा संवेदक द्वारा भारी अनियमितता बरतने की लिखित जानकारी भी दी गई। मगर आज तक भवन निर्माण कार्य पुन: प्रारंभ नहीं हो सका। जिस कारण पुलिसकर्मी अब भी जर्जर मकान में रहने को विवश हैं। यहा तक कि चकाई थाना का थाना चलाने हेतु अपना भवन नहीं है और उसे थाने के बगल में निर्मित सामुदायिक भवन में थाना का कार्य करना पड़ता है। वहीं भवन निर्माण में संवेदक द्वारा बरती जा रही अनियमितता की शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा कई बार जमुई जिलाधिकारी से की गई थी।