Move to Jagran APP

पैक्स और बिचौलियों से परेशान हैं किसान

संवाद सहयोगी, जमुई : इन दिनों किसानों के सामने धान बेचने को लेकर बड़ी समस्या आ गई है। कभी पैक्स तो कभ

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 07:06 PM (IST)
पैक्स और बिचौलियों से परेशान हैं किसान

संवाद सहयोगी, जमुई : इन दिनों किसानों के सामने धान बेचने को लेकर बड़ी समस्या आ गई है। कभी पैक्स तो कभी एसएफसी के गोदाम पर आकर किसान चक्कर लगा रहे हैं। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति किए जाने का सिस्टम ऐसा है कि बगैर बिचौलिया के उनका धान बिकना मुश्किल है। कड़ी मेहनत पर धान उपजाने वाले किसान कभी अपने किस्मत को तो कभी सरकार को कोस रहे हैं। पैक्स के माध्यम से धान की अधिप्राप्ति कराने के लिए किसानों की फजीहत हो रही है और किसानों को कमीशन भी देना पड़ रहा है।

loksabha election banner

जिले को 41 हजार मैट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया था। पैक्स के माध्यम से एसएफसी को धान की अधिप्राप्ति करनी थी। धान का बाजार भाव एक हजार से 1100 रुपये प्रति क्विंटल है। सरकार ने धान का दर 1360 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इसके अलावा किसानों को 300 रुपया प्रति क्विंटल बोनस दिया जाना है। किसान अब फायदे के लिए सरकार को धान देना तो चाहते हैं परंतु धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया आड़े आ रही है। इस संबंध में जिला प्रशासन को लगातार शिकायत तो मिलती है परंतु कार्रवाई कुछ नहीं होती है। या यूं कहें कि प्रशासनिक व्यवस्था और पैक्स के बीच किसान पिस रहे हैं।

एसएफसी ने सीधे किसान से धान नहीं खरीदने का ऐलान किया है। पैक्स के माध्यम से ही धान लेना है। ऐसे में पैक्स की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। बिचौलिये इस कदर हावी हैं कि किसानों की कोई नहीं सुनता। सूत्रों की मानें तो बिचौलिये और पैक्स की सांठगांठ के कारण किसानों को 400 से 500 रुपये तक कमीशन देना पड़ता है। वो भी या तो किसान पहले पैसा दें या फिर बैंक के वाउचर पर हस्ताक्षर करना होता है। दूसरी ओर पैक्स का कहना है कि धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो गया है परंतु जब बिचौलिये के माध्यम से जब किसान आते हैं तो उनकी धान को खरीदा जाता है। जनता दरबार में गुरुवार को सिकंदरा के दर्जन भर किसान इस बात की शिकायत की। किसानों का कहना है कि आखिर हम धान कहां बेचें। इससे पूर्व अड़सार पैक्स के किसान पप्पु खान ने जिलाधिकारी से मिलकर ऐसी ही शिकायत की थी। वार्ड नंबर 27 के किसान हाजी मुहम्मद ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था। हालांकि प्रशासन की सक्रियता के कारण उनका धान तो खरीद लिया गया परंतु सैकड़ों किसान इस व्यवस्था में परेशान हैं।

जिलाधिकारी शशिकांत तिवारी ने कहा कि इस मामले में एडीएम चौधरी अनंत नारायण एवं उपविकास आयुक्त मृत्युंजय कुमार को जांच करने का निर्देश दिया गया है। अगर धान अधिप्राप्ति में गड़बड़ी है तो दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.