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इंटर की परीक्षा में कदाचार की छूट

संवाद सूत्र, बरहट (जमई): प्रखंड के दो सेंटरों पर संचालित इंटरमीडिएट की परीक्षा को अगर मजाक कहा जाए त

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 06:54 PM (IST)
इंटर की परीक्षा में कदाचार की छूट

संवाद सूत्र, बरहट (जमई): प्रखंड के दो सेंटरों पर संचालित इंटरमीडिएट की परीक्षा को अगर मजाक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। परीक्षार्थी बेखौफ होकर डेस्क पर गाइड, गेस पेपर रखकर नकल उतार रहे हैं। मगर वीक्षकों सहित केन्द्राधीक्षकों के चश्मे का नंबर बदल गया है। उनके चश्मे से कदाचारमुक्त परीक्षा नजर आ रही है। हद तो इस बात की है कि परीक्षार्थी वीक्षक के सामने नकल उतारते हैं और जब उनकी करतूत कैमरे में कैद होती है तो वीक्षक भी उसे बचाने के प्रयास में लग जाते हैं। यद्यपि प्रशासन ने कदाचारमुक्त परीक्षा आयोजन को लेकर कई दिशा-निर्देश दिया था।

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प्रत्येक केन्द्रों पर वीक्षकों व केन्द्राधीक्षकों के अलावा स्थायी दंडाधिकारी नियुक्त किया गया था। इसके अलावा चलंत दंडाधिकारी भी नियुक्त हैं मगर कदाचार के सामने सभी खामोश हैं या उनकी मौन सहमति मिली है। बड़ा सवाल यह है कि ऐसे परीक्षा के आयोजनों से किसे लाभ मिलेगा। सोचनीय पक्ष यह है कि क्या यह विद्यार्थियों के भविष्य के हित में है। प्रखंड के दो परीक्षा सेंटर तो बानगी भर है। जिले के प्राय: परीक्षा केन्द्रों पर कदाचार का यही आलम है। मगर अब तक प्रशासनिक कार्रवाई कहीं नजर नहीं आई है।

शुक्रवार को प्लस टू उच्च विद्यालय मलयपुर में परीक्षा का दृश्य ऐसा था कि हर डेस्क पर परीक्षार्थी वीक्षकों के सामने नकल उतार रहे थे। कैमरे की चमक भी उन्हें परेशान नहीं कर रही थी। कदाचार चरम पर था और वीक्षक बरामदे पर बातचीत में व्यस्त थे। इतना ही नहीं दो महिला वीक्षक तो परीक्षा कक्ष में ही परीक्षार्थी के बेंच पर बैठकर गाल पर हाथ रखकर आराम से बातों में मशगूल थी। न उन्हें कदाचार की चिंता थी और न ही उठ रहे शोर-गुल उनकी बातों में खलल डाल पा रहे थे। कुछ ऐसी ही स्थिति प्रखंड स्थित दूसरे सेंटर कामिनी बालिका उच्च विद्यालय पर भी देखने को मिला। केन्द्राधीक्षक, मजिस्ट्रेट सहित कई वीक्षक मैदान में बैठे थे और उनके सामने ही बरामदे पर बैठे परीक्षार्थी मजे से नकल उतार रहे थे।

कैमरे के चमकने के साथ ही कुछ वीक्षक भी चीट व गाइड को खिड़की के रास्ते बाहर फेंकने लग जाते हैं। अब ऐसी व्यवस्था को परीक्षा का नाम दिया जाए या परीक्षा के नाम पर मजाक यह आप खुद निर्णय लें..।


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