स्वच्छ गंगा बनाने की लें शपथ : अशोक
संवाद सहयोगी, जमुई : स्वच्छता में ही आस्था बसती है। चाहे वह धर्म स्थल हो या फिर गंगा नदी। जिसकी स्वच
संवाद सहयोगी, जमुई : स्वच्छता में ही आस्था बसती है। चाहे वह धर्म स्थल हो या फिर गंगा नदी। जिसकी स्वच्छता को लेकर आज पूरे देश में जागरुकता को ले चर्चा छिड़ी है। ऐसे में लोग अपने अंदर वह भाव पैदा कर रहे हैं ताकि गंगा की स्वच्छता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके। मलयपुर स्थित मां कालिका मंदिर कमेटी के संयोजक अशोक सिंह गंगा की स्वच्छता पर अपील करते हुए कहा कि नदियों का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। गंगा मानव जीवन में आस्था और संस्कृति की पहचान है। ऐसे में हर भारतीय का दायित्व बनता है कि इसकी स्वच्छता को बनाए रखें। पूजा कमेटी केमिकल रहित प्रतिमा बनाएं ताकि विसर्जन के बाद भी यह प्रदूषण न फैलाए। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि प्रदूषित गंगा को मुक्ति के लिए आगे आएं और संस्कृति से जुड़ी इसकी पहचान को वापस दिलाने का काम करें। श्री सिंह ने कहा कि गंगा किनारे बसे शहरों से निकलने वाली गंदगी व कचरे के निस्तारण के लिए एक विशेष कार्य योजना सरकारी स्तर पर बनाई जाए। जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को गंगा के घाटों को साफ रखने के प्रति जागरुक किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित कराई जाए कि मेडिकल कचरा, फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल के अलावे लावारिश लाशों को गंगा में प्रवाहित करने पर रोक लगाई जाए। गंगा की पहचान और उसकी महत्ता हर घर, धर्म, संप्रदाय से जुड़ी है। लिहाजा इसकी रक्षा में लोग बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाएं। दीपावली के पूर्व लोग घरों की साफ करते हैं। समय आ गया है जब गंगा को स्वच्छ रखने की शपथ लोग लें।
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प्रतिमा में रसायन का नहीं करें प्रयोग : चन्दर
गंगा की स्वच्छता बनाए रखने पर लोगों से अपील करते हुए जमुई चैम्बर ऑफ कॉमर्स व महाराजगंज काली मंदिर पूजा कमेटी के अध्यक्ष चन्दर सिंह ने कहा कि प्रतिमा के निर्माण में रसायन का प्रयोग न करें। चूंकि विसर्जन के बाद प्रतिमा के रसायन गंगा के जल को दूषित करते हैं। साथ ही पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे जल जीव च्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में लोग गंगा के प्रति आस्था बनाए रखने के लिए मन के भाव को साफ करें तभी गंगा भी स्वच्छ, निर्मल हो सकेगी।
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सामूहिक पूजा का करें आयोजन
काली पूजा कमेटी गोसाई टोला के अध्यक्ष अशोक कुमार गंगा के प्रदूषण पर लोगों से अपील करते हुए कहा कि शहर के विभिन्न स्थानों पर प्रतिमा स्थापित करने के बजाय सामूहिक रुप से एक स्थल पर पूजा-अर्चना की जाए तो प्रतिमा की संख्या में कमी आएगी और विसर्जन के बाद भी गंगा में प्रदूषण की बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्रतिमा विसर्जन के अलावे पूजा सामग्री का गंगा में प्रवह करने से भी जल प्रदूषण बढ़ता है। ऐसे में पूजा समिति कम पूजन सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं।