भरोसा कायम नहीं कर पाया चौबीस गुणा सात सेवा
जागरण न्यूज नेटवर्क, जमुई : ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित संस्थागत प्रसव की परिकल्पना के साथ दो वर्ष पूर्व 24 गुणा सात सेवा शुरू की गई। मकसद था कि दाई की जगह प्रशिक्षित नर्स सामान्य प्रसव कराएं। साथ ही जच्चा-बच्चा की समुचित देखभाल हो सके। हकीकत वादों के साथ बेमानी बन गया है। असुविधाओं में हिचकोले खा रही चौबीस गुणा सात सेवा स्वास्थ्य विभाग की महज खानापूर्ति है। जिले में सात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा 48 अतिरिक्त व 279 स्वास्थ्य उपकेंद्र है। मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चन्द्रेश्वर चौधरी के अनुसार केवाल फरियत्ता, सिमुलतला, बटिया, मलयपुर व महादेव सिमरिया के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में यह सुविधा है। जहां व्यवस्था का टोटा में संस्थागत प्रसव आज भी सुरक्षित नहीं माना जाता है। चूंकि पूरी तरह एएनएम पर निर्भर यह सेवा भरोसा कायम नहीं कर पाया है।
एक नजर में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े
मातृ मृत्यु दर - 295 प्रति हजार जीवित जन्म
शिशु मृत्यु दर - 57 प्रति हजार जीवित जन्म
मृत जच्चा-बच्चा -6.7 प्रति हजार जनसंख्या
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आपातकाल में भगवान भरोसे मरीज
बरहट : स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सेवा की कवायद प्रखंड में विभागीय उदासीनता का शिकार हो रहा है। आपातकाल की स्थिति में प्रसूता को भगवान भरोसे बड़े अस्पताल में रेफर किया जाता है। यह बातें बुधवार को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मलयपुर में जायजा लेने के दौरान सामने आई। दिन के 10:10 बजे अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सक गायब मिले। रोगी डॉक्टर साहब के आने का इंतजार कर रहे थे। पूछने पर बताया गया कि चिकित्सक प्रतिदिन आते हैं मगर समय निर्धारित नहीं है। नर्स के कक्ष में नवजात व बच्चों के टीकाकरण की विवरणी टंगी है जिसमें टीकाकरण करने का दिन बुधवार व शुक्रवार दर्ज है। पूछने पर नर्स के घर में होने की बात बताई गई। अब बातें सुविधा की करें तो एपीएचसी मलयपुर में सुविधा की बात करनी बेमानी होगी। जांच टेबल पर प्रसव कराया जाता है। पानी चढ़ाने के लिए एकमात्र स्टेंड उपलब्ध है। वार्ड की छत से पानी टपकता है। एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है। आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है मगर खराब अवस्था में। चौबीस घंटे सेवा उपलब्ध कराने की तर्ज पर चलने वाले इस अस्पताल में रात्रि सेवा एएनएम व नर्स के हवाले है। कॉल पर डॉक्टर साहब सेवा देते हैं। हालांकि जेनरेटर की उत्तम सुविधा यहां है। नर्स ने बताया कि प्रसव के दौरान आपातकाल की स्थिति में परिजन द्वारा मंगाए गए वाहन से प्रसूता को सदर या अन्य अस्पताल भेजा जाता है। पूछे जाने पर कि विषम परिस्थिति में जब तुरंत चिकित्सीय सहायता की जरूरत हो तब क्या किया जाता है। नर्स ने बेबाक लहजे में कहा कि कुछ नहीं कर सकते हैं। परिजन के वाहन से भगवान भरोसे प्रसूता को रेफर कर दिया जाता है। पूछे जाने पर अक्षरा की एक गर्भवती महिला नीरा देवी ने बताया कि हमेशा नर्स ही उन्हें जांच करती आई है। अंतिम महीने में होने के बावजूद चिकित्सक ने आज तक उसकी जांच नहीं की। वह पैदल ही घर से अस्पताल पहुंची है।
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दलालों के कब्जे में सुरक्षित प्रसव की सुविधा
झाझा : महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का प्रेशर बढ़ गया है। अस्पताल में इलाज नहीं हो पाएगा। जल्द प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराओ नहीं तो बच्चे को खतरा है। मरीज के परिजन को इस तरह का झांसा देकर एएनएम अस्तपाल के डॉक्टरों द्वारा खोले गए प्राईवेट क्लीनिक में भेजने का प्रयास किया जाता है। यूं कहे कि सातों दिन चौबीस घटे की सुविधा का लाभ विशेषकर बिचौलिया एवं डॉक्टरों को मिल रहा है। सातो दिन, चौबीस घंटे सेवा उपस्वास्थ्य केन्द्र बुढ़ीखाड एवं सिमुलतल्ला में चलाया जा रहा है। बुधवार की सुबह करीब 8 बजे मछीन्द्रा गाव की एक महिला गीता देवी एवं तेलियाडीह गाव की एक अन्य महिला भाड़े की गाड़ी से अस्पताल पहुंची। गाड़ी के रूकने के बाद गर्भवती महिला के साथ आए परिजन ने किसी तरह उसे गाड़ी से उतारा और वार्ड में बिना चादर के बेड पर सुला दिया। इस दौरान प्राईवेट क्लीनिक के दलाल मरीज के परिजन से इलाज से संबंधित बातें करने लगे। लगभग 15 मिनट के बाद अस्पताल में तैनात एएनएम सौनलता देवी ने मरीज के संदर्भ में जानकारी ली। बाद में गर्भवती महिला को प्रसव कक्ष में ले जाया गया। जहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे। बिना कोई जाच हुए उक्त मरीज को प्रसव कक्ष में ले जाया गया। बुढ़ीखाड उप स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव कराने से संबंधित किसी प्रकार की कोई सुविधाएं नहीं है। जेनरेटर भी नहीं है। जबकि यहां एक चिकित्सक डॉ. रविरंजन एवं ए ग्रेड नर्स रीना कुमारी को तैनात किया गया है।
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नकारा बना 24 गुणा सात सेवा
सिमुलतला : छह शय्या वाला अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र में एक बजकर दस मिनट पर जब जागरण प्रतिनिधि पहुंचे तो चिकित्सक रोगियों की जाच करते देखे गए। प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि गोपलामारण ग्राम के रंजन मुर्मू की पत्नी संगीता किस्कू ने 11:45 पर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। स्वस्थ जच्चा-बच्चा को दोपहर 1 बजे डीसचार्ज भी कर दिया गया। वहीं अस्पताल में एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं है। विशेष परिस्थिति में 102 नम्बर डायल कर झाझा रेफरल अस्पताल से एम्बुलेंस मंगवाया जाता है। अस्पताल में जेनरेटर चालू अवस्था में है।
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व्यवस्था को टोटा, नहीं आती प्रसूता
गिद्धौर : ग्रामीण क्षेत्र के लोग उस मुकाम पर खड़े जहा प्रसव के दौरान मा पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र की स्थापना की गई है। स्वास्थ विभाग द्वारा प्रखंड के सेवा पंचायत का सात गुणा 24 घटे एपीएचसी का चयन किया गया है। लेकिन उक्त केंद्र पर प्रसव की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ केंद्र गिद्धौर या जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अब तक ना तो बिजली की सुविधा प्राप्त है न ही पेयजल ही उपलब्ध है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जेनरेटर, पेयजल, बिजली, एम्बुलेंस का अभाव रहने के कारण प्रसूता आती ही नहीं है।
सेवा पंचायत के ग्रामीण शिवेन्द्र रावत एवं मुकेश कुमार बताते हैं कि यह अस्पताल सुविधा विहीन है।
कभी कभार आते हैं चिकित्सक
खैरा : खैरा प्रखंड अंतर्गत केवाल गाव में स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रसव के लिए 24 गुणा 7 की सेवा उपलब्ध कराने की बात बेमानी है। केवाल अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में महिला चिकित्सक की बात तो दूर यहा पुरुष चिकित्सक भी उपलब्ध नहीं हैं। यहा एक आयुष चिकित्सक डॉ. डीके तिवारी प्रतिनियुक्त हैं। जो कभी-कभी ही नजर आते हैं। इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव की जिम्मेवारी चार ए ग्रेड नर्स चिंता देवी, विभा देवी, अनिता देवी और शबनम पर है। अगर किसी तरह का कम्पलिकेटेड प्रसव का मरीज आता है तो उसे यहा से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खैरा या सदर अस्पताल भेजने की सेवा भी उपलब्ध नहीं है।
खंडहर भवन में संचालित है 24 गुणा सात सेवा
संवाद सूत्र, सोनो : स्वास्थ्य विभाग ने सोनो प्रखंड के बटिया (कालीपहाड़ी) स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 9 दिसम्बर 2012 को 24 गुणा सात नाम से जिस महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य सेवा की शुरुआत की थी वह आज भी यहां कसौटी पर खरा उतरती नजर आती है। 21 महीनों से कालीपहाड़ी स्थित एपीएचसी के उसी जीर्ण-शीर्ण भवन को कई वर्ष पूर्व ही अभियंताओं ने परित्यक्त घोषित कर दिया था। उक्त केन्द्र की उपलब्धियों पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो पिछले 21 महीनों में यहां संस्थागत प्रसव लाभ के कुल 470 रजिस्ट्रेशन हुए। औसतन 25 प्रसव यहां प्रत्येक महीने कराए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लिए उक्त केन्द्र का खासा महत्व है। सुविधाओं के नाम पर यहां छह शय्या वाली व्यवस्था है लेकिन बरसात में छत से रिसते पानी ने यहां विभाग के सारे दावों को खारिज कर दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि 24 घंटे सातों दिन अनवरत सेवा प्रदान करने वाले उक्त केन्द्र में महज एक डॉक्टर को पदस्थापित किया गया है। डॉ. परमानंद यादव इस केन्द्र पर नियमित आते हैं। ऐसा ग्रामीणों ने बताया जबकि यहां ए ग्रेड नर्स के रूप में अनीता कुमारी, वनिता, आरती तथा जोहाना हेम्ब्रम पदस्थापित हैं। एएनएम प्रभा कुमारी तथा एएनएम रुरल विनीता कुमारी की ड्यूटी भी इसी केन्द्र पर दी गई है। पदस्थापित कर्मियों का कहना है कि बरसात के दिनों में प्रसव करवाने में उन्हें भीषण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भवन धराशायी होने के कगार पर है। मामूली बारिश में भी कमरों की स्थिति खुले आंगन की तरह हो जाती है। जेनरेटर की सुविधा यहां है लेकिन उसका उपयोग कब होता है इसकी जानकारी नहीं है। सप्लाई वाटर की सुविधा यहां नहीं है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कालीपहाड़ी का भवन जीर्ण-शीर्ण है। इसकी लिखित जानकारी वरीय पदाधिकारियों को लगातार दी जा रही है। विभाग से प्राप्त सूचना में बताया गया है कि वहां भवन निर्माण का कार्य जल्द ही शुरू कराया जाएगा।