नक्सलियों के खौफ ने रेल पुलिस को पकड़ा दिया डंडा
संवाद सहयोगी, जमुई : जमुई से होकर गुजरने वाली दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग की ट्रेनों को जब नक्सलियों ने हथियार लूटने तथा पुलिस वालों की हत्या के लिए निशाना बनाना प्रारंभ किया तो मुकाबला करने के बजाए रेल पुलिस डंडे पर आ गई और अब इसका खामियाजा निरीह यात्रियों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। पिछले 20 वर्षो में जमुई और इसके आसपास के इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव जब तेजी से बढ़ा तो आपराधिक घटनाओं में कमी आई। स्वाभाविक है एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते। आपराधिक घटनाएं रुकीं तो जमुई से होकर गुजरने वाली दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल लाइन तो सुरक्षित हुई ही मुंगेर मार्ग में पड़ने वाले लक्ष्मीपुर जंगल तथा देवघर मार्ग में बटिया जंगल में लूट की घटनाओं पर भी विराम लग गया था। नक्सलियों ने अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए जब रेल को निशाना बनाना प्रारंभ किया तो झाझा में छह जीआरपी जवानों की हत्या, सैप जवानों की मौत, आरपीएफ को मौत के घाट उतारने जैसी कई घटनाओं को अंजाम देकर हथियारों को लूटा। तब तक नक्सलियों के खौफ के कारण अपराधी आसपास भी नहीं फटकते थे और नक्सली कभी भी यात्री ट्रेन और यात्रियों को निशाना नहीं बनाते थे। इससे रेल यात्रा करने वाले लोगों को राहत महसूस होने लगी। वक्त बदला तो नक्सलियों का तौर-तरीका भी खौफनाक होता चला गया। इसके बाद रेल पुलिस ने अपनी रणनीति बदलकर हथियार बचाने के लिए जवानों को डंडा थमा दिया जिससे वे अपनी ही जान बचाने में बेबस दिख रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में नक्सलियों ने यात्री ट्रेनों को निशाना बनाना प्रारंभ किया और कुंदर में उनकी गोली से निर्दोष यात्री मारे गए। शनिवार की रात्रि मौर्य एक्सप्रेस में लूट और यात्रियों की हत्या की घटना हो या 16 जुलाई को इसी रूट की टाटा-छपरा ट्रेन में लूटपाट और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की घटना अपराधियों ने निहत्थे पुलिस वालों का जमकर फायदा उठाया। लाहावन के पास 6 अगस्त को पूर्वाचल एक्सप्रेस में तथा 25 फरवरी को पंजाब मेल में लूट की घटना के दौरान पूरी ट्रेन जैसे हाईजैक कर ली गई थी और समय पर राहत तथा बचाव भी नहीं पहुंच पाया।
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''झाझा जीआरपी प्रभारी अम्बिका प्रसाद की मानें तो झाझा से जसीडीह की ओर उनकी ओर से कोई भी पुलिस वाला किसी भी ट्रेन में गश्ती के लिए नहीं जाता है और न ही जसीडीह की ओर से आने वाली ट्रेन में कोई गश्ती पार्टी आती है। इन परिस्थितियों में लगातार बढ़ती ट्रेन लूट की घटनाओं में यात्री अब अपराधी और नक्सलियों दोनों की दोहरी मार झेलने के लिए विवश हैं। ठोस उपाय नहीं किए गए तो इस मार्ग से गुजरने वाली दर्जनों अच्छी ट्रेनों के कई निर्दोष यात्रियों की बलि चढ़ सकती है।''