करोड़ों की राशि खर्च, नहीं बुझी प्यास
संवाद सूत्र, बरहट (जमुई): जिले के 18 लाख की आबादी को पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया गया। मगर शुद्ध पेयजल आज भी नसीब नहीं हो पा रहा है। गर्मी के दस्तक देते ही जिलेवासी पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं। ऐसे में योजनाओं का कार्यान्वयन पद्धति शक के घेरे दायरे में आ गया है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो चतुर्थ वित्त आयोग के तहत वित्तीय वर्ष 2013-14 तथा 2014-15 में पंचायत व प्रखंड स्तर पर अलग-अलग राशि पेयजल मुहैया कराने को लेकर निर्गत किया गया। डीआरडीए द्वारा वित्त वर्ष में जिले के 153 पंचायतों को 5 लाख 29 हजार प्रति पंचायत तथा 2 करोड़ 43 लाख प्रति प्रखंड की दर से राशि मुहैया कराई गई। इस प्रकार पंचायतों में कुल 8 करोड़ 9 लाख 37 हजार तथा प्रखंडों में 24 करोड़ 30 लाख की राशि दी गई। जो पंचायत स्तर पर मुखिया व प्रखंड स्तर पर पंसस द्वारा खर्च किया जा रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती है। लोकसभा चुनाव के दौरान पीएचइडी ने जिले के 1111 बूथों पर पेयजल मुहैया कराया था। इसके अलावा विभाग ने पिछले वर्ष 1600 चापाकल लगाने का दावा करते हुए इस वर्ष अबतक 250 चापाकल लगाने की बात कही है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जिले में निर्मित 23 पाईप जलापूर्ति योजना में से 17 योजना चालू है। अब बड़ा सवाल यह है कि 18 लाख की आबादी को प्यास बुझाने के लिए आखिर कितने चापाकलों की जरूरत है। जानकारों की मानें तो चापाकल लगाने के क्रम में कम गहराई तक बोरिंग तथा कम गुणवत्ता वाले सामग्रियों का उपयोग होने से अधिकांश चापाकल लगते ही खराब हो जाते है और उद्देश्यहीन बन जाते है।
चतुर्थ वित्त आयोग द्वारा निर्गत राशि
पंचायत राशि कुल
153 529000 8 करोड़ 9 लाख 37 हजार
प्रखंड राशि कुल
10 2 करोड़ 43 लाख 24 करोड़ 30 लाख