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बहुचर्चित सेनारी नरसंहार का फैसला आज

गुरुवार को अरवल जिले के वंशी थाना क्षेत्र के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार का फैसला सुनाया जाएगा।

By Edited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 02:49 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 02:49 AM (IST)
बहुचर्चित सेनारी नरसंहार का फैसला आज

जहानाबाद। स्थानीय व्यवहार न्यायालय स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार ¨सह के न्यायालय द्वारा गुरुवार को अरवल जिले के वंशी थाना क्षेत्र के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार का फैसला सुनाया जाएगा। 17 साल बाद इस न्यायालय द्वारा नरसंहार के इस मामले की सुनवाई पूरी की गई। उल्लेख है कि 18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी के हथियारबंद दस्ते के लोगों ने सेनारी गांव के एक जाति विशेष के लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी थी। इस घटना में छह लोग जख्मी भी हो गए थे। इस सिलसिले में अपने पति तथा पुत्र को खो चुकी ¨चतामणि देवी द्वारा 15 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। नरसंहार की इस घटना को लेकर काफी बवाल हुआ था। उस समय इस प्रदेश में कांग्रेस समर्थित राजद की सरकार थी। सरकार के प्रति लोग काफी आक्रोशित थे। गुस्से का आलम यह था कि सरकार का कोई भी प्रतिनिधि वहां के लिए जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। इसके कारण शवों को भी नहीं उठाया जा सका था। राज्यपाल के प्रभार में रहे मुख्य न्यायाधीश के अलावा केन्द्रीय मंत्री जार्ज फर्नाडिश, नीतीश कुमार तथा रामविलास पासवान के पहुंचने के बाद हीं शवों को पोस्टमार्टम कराया गया था। गांव में ही चिकित्सकों की टीम द्वारा पोस्टमार्टम किए जाने के उपरांत दस शवों का अंतिम संस्कार पटना में तथा शेष 24 का अंतिम संस्कार ठाकुरबाड़ी के समीप उसी स्थान पर किया गया था। जहां नक्सलियों द्वारा उनलोगों की हत्या की गई थी। अंतिम संस्कार के समय भी प्रभारी राज्यपाल के अलावा सभी मंत्री मौजूद थे।

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74 लोगों पर दाखिल हुआ था आरोप पत्र

इस नरसंहार के अनुसंधान की जिम्मेदारी उस समय के वंशी ओपी के प्रभारी को सौंपी गई थी। हालांकि अनुसंधान पूरा होने तक चार अनुसंधानकर्ता बदले गए। उनलोगों द्वारा पंद्रह नामजद अभियुक्त सहित 74 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया गया था। जिन लोगों को अनुसंधान की जिम्मेदारी मिली थी उनमें विशम्बर ¨सह,जमुना ¨सह, केके ¨सह तथा आलोक कुमार शामिल हैं। विशम्बर को छोड़ तीन अनुसंधानकर्ता का निधन सुनवाई के दौरान ही हो गई थी। न्यायालय में सिर्फ अनुसंधानकर्ता के रुप में विशम्बर ¨सह की हीं गवाही हो सकी।

45 पर गठित हुआ आरोप

न्यायालय द्वारा 15 मई 2002 को 45 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप गठित किया गया था। इनमें से गुरु प्रसाद यादव तथा सुखु ¨सह की मौत हो गई थी जबकि शम्भु डोम, सुरेश प्रसाद यादव, मुंगेश्वर यादव, रामलखन राजवंशी तथा योगेन्द्र रजक फरार हो गए थे। अब न्यायालय द्वारा 38 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पूरी की गई। इनमें ब्यास यादव उर्फ नरेश यादव नामजद अभियुक्त हैं जबकि शेष 37 अप्राथमिकी अभियुक्त है।

31 लोगों की हुई गवाही

हालांकि इस नरसंहार के मामले में गवाहों की लंबी सूची थी लेकिन 31 गवाह न्यायालय में पेश हुए और उनलोगों की गवाही हुई। इस मामले के सूचक ¨चतामणि देवी की गवाही नहीं हो पाई। सुनवाई के दौरान हीं उनका निधन हो गया था। इसके कारण उनकी गवाहीं नहीं हो सकी।

पांच में से तीन डाक्टरों की हुई गवाही

नरसंहार की घटना में मारे गए सभी 34 शवों का पोस्टमार्टम गांव में ही कराया गया था। इसके लिए जहानाबाद सदर अस्पताल के चार चिकित्सकों को बुलाया गया था। डॉ मिथिलेश कुमार द्वारा 11, डॉ हरिश्चंद्र हरि द्वारा नौ, डॉ श्रीनाथ द्वारा सात तथा डॉ विनय प्रकाश केशरी द्वारा सात शवों का पोस्टमार्टम किया गया था। इधर डॉ एके जयसवाल ने जख्मी लोगों का इलाज किया था। हालांकि पोस्टमार्टम तथा इलाज में शामिल चिकित्सको में से डॉ विनय प्रकाश केशरी तथा डॉ एके जयसवाल की गवाहीं नहीं हो सकी।


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