पैर मे पड रहे छाले पर रूक नही रहे कदम
जहानाबाद। भगवान शंकर के आराधना का महीना सावन में शिवभक्तों का उत्साह देखते बन रहा है
जहानाबाद। भगवान शंकर के आराधना का महीना सावन में शिवभक्तों का उत्साह देखते बन रहा है। रास्ते मे पड़ने वाले कंकड़ पत्थर से कुचलाये पैर की परवाह यहां कौन करता है। लक्ष्य तो भगवान भोले शंकर हैं। जिन पर जल अर्पण करने का जोश और आस्था हर जख्म पर भारी पड़ता है। गेरुआ वस्त्र पहने कंधे पर कांवर लिये कांवरियों को बोल बंम और हर हर महादेव के जय घोष से ऐसी उर्जा मिलती है कि पैरों में पड़ने वाले छाले की टिस भी लक्ष्य से डिगा नहीं पाती। पटना के गायघाट से कांवर में गंगा जल भरकर औरंगाबाद के देवकुंड स्थित बाबा दुधेश्वर नाथ जाते ऐसे कांवरियों के दर्शन इन दिनों हो रहे हैं। कांवरिया जहानाबाद-अरवल जिला होते हुए औरंगाबाद के देवकुंड में बाबा दुधेश्वर नाथ पर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं। इन रास्तों पर कांवरियों को उतनी सुविधाएं नहीं मिल पाती है। जिसके कारण इन रास्तों पर कांवरियों की संख्या काफी कम होती है। अमुमन शुक्रवार और शनिवार को पटना से जल भरकर कांवरियां पैदल निकलते है। जो मसौढ़ी, जहानाबाद तथा इमामगंज होते हुए रविवार को करपी पहुंचते है। यहां अच्छी खासी व्यवस्था रहती है। करपी में रात गुजारने के बाद अहले सुबह देवकुंड के लिए निकल जाते हैं। करपी में कांवरियों के लिए खाने के साथही नींबू पानी और गर्म पानी आदि की भी व्यवस्था होती है। कांवरियों की थकान यहां मिटती है। इमामगंज में भी शिवभक्तों के लिए व्यवस्था की जाती है। पटना से देवकुंड तक पक्की सड़क पर हीं कांवरियां चलते हैं। रास्ते में सुविधाएं नगण्य होने के बावजूद कांवरियां भगवान शंकर के सहारे हीं कठिन रास्ते तय करते हैं। मन में श्रद्धा और भक्ति ऐसी भरी होती है कि तमाम कठिनाईयो के बावजूद वे सिर्फ चलते जाते हैं। पैरों में छुपने वाले पत्थर की वजह से कदम थोड़े लड़खड़ाते तो हैं। मगर बाबा भोले नाथ के सहारे कठिन रास्तों को भी पार कर जाते हैं।