फाइलों में दब गई नदियों की सफाई योजना
वैसे गोपालगंज को नदियों का इलाका कहा जाता है। पर, गंडक से लेकर छोटी बड़ी करीब दर्जन भर नदियों वाले इस जिले में संरक्षण के अभाव में गंदी हो चली नदियों के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है।
गोपालगंज। वैसे गोपालगंज को नदियों का इलाका कहा जाता है। पर, गंडक से लेकर छोटी बड़ी करीब दर्जन भर नदियों वाले इस जिले में संरक्षण के अभाव में गंदी हो चली नदियों के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है। कुछ नदियां अतिक्रमण की शिकार हो संकरी हो चली हैं तो कुछ नदियां शैवाल व जलकुंभी से पट गई हैं। हालांकि करीब डेढ़ दशक पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी एसएम राजू ने नदियों की सफाई कराने की पहल की थी। तब शहर से गुजर रही छाड़ी नदी की सफाई के साथ ही उसमें नौकायन की व्यवस्था करने की योजना भी बनी थी। लेकिन यह योजनाएं फाइलों में ही दब कर रह गई।
जिले में दाहा, सोना, गंडक, खनुआ, घोघारी, झरही तथा गंडक जैसी दर्जन भर नदियां बहती हैं। कभी नदियां जीवनदायनी कही जाती थी। लेकिन अब अधिकांश नदियों को पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि मछलियां मरने लगी हैं। जिला मुख्यालय के बीचोबीच से निकलने वाली छाड़ी नदी को ही देखें तो यह नदी नाला में तब्दील हो गई है। नदी के दोनों पाटों पर अतिक्रमण के साथ ही आधे से भी अधिक शहर का गंदा पानी इसी नदी में समाहित होता है। हालांकि करीब डेढ़ दशक पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी एसएम राजू ने इस नदी की सफाई कराकर उसमें नौका विहार की व्यवस्था करने की पहल की थी। लेकिन उनके स्थानान्तरण के बाद यह पहल फाइलों में ही सिमट कर रह गई।
इनसेट
मिल का बहता है गंदा पानी
गोपालगंज : जिले के सासामुसा से गुजरने वाली दाहा नदी की दशा भी बदहाल हो गई है। गंदगी के कारण इस नदी की भी मछलियां मरने लगी हैं। सासामुसा बाजार में स्थित चीनी मिल का गंदा पानी इसी नदी में गिराए जाने से नदी के पानी से उठते दुर्गंध के कारण आसपास के गांवों के लोग परेशान हैं। ग्रामीण आये दिन नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की मांग उठाते रहते हैं। लेकिन नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने की दिशा में आज तक पहल नहीं की जा सकी है।