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बही बदलाव की बयार, पोखर से होने लगा प्यार

गोपालगंज। दैनिक जागरण के अभियान तलाश तालाबों की से ग्रामीणों की सोच में सकारात्मक बदलाव

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 06:07 PM (IST)
बही बदलाव की बयार, पोखर से होने लगा प्यार

गोपालगंज। दैनिक जागरण के अभियान तलाश तालाबों की से ग्रामीणों की सोच में सकारात्मक बदलाव का असर दिखने लगा है। इसी का परिणाम है कि ग्रामीण अब खुद तालाबों की साफ सफाई करने के लिए पहल करने लगे हैं। इससे जिले में तालाबों की दशा भी बदलने लगी है। विधायक भी अपने-अपने क्षेत्र के ऐतिहासिक तालाबों का जीर्णोद्धार कराने से लेकर सौंदर्यीकरण कराने की पहल कर रहे हैं। मनरेगा से भी तालाबों की दशा सुधारने की कवायद शुरू हो गई है।

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जिले के भोरे प्रखंड के डिगंबेश्वर मंदिर के किनारे 1508 में बने तालाब का अपना ऐतिहासिक महत्व है। काफी समय से उपेक्षित इस तालाब के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। मनरेगा से चार लाख 94 हजार पांच सौ रुपये से इस तालाब में भरी मिट्टी को खोद कर निकालने का काम अंतिम चरण में है। फुलवरिया के मांड़ीपुर गांव के दो सौ साल पुराने पोखरे की सफाई का कार्य ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है। इसका जीर्णोद्धार कराने की विधायक रामसेवक सिंह ने घोषणा की है। पंचदेवरी के मचवां गांव के समीप के ऐतिहासिक मथुरा बाबा तालाब के घाट की सीढ़ी का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। ग्रामीण इसकी सफाई कर रहे हैं। विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय ने इस तालाब का सौंदर्यीकरण कराने तथा इसके चारों तरफ पौधरोपण कराने की घोषणा की है। बैकुंठपुर के दीघा टोला के तालाब का संबंध द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। सिधवलिया के बुचेया का तालाब ग्रामीणों ने सूखे के बचने के लिए 1904 में खुद खोदा था। अब इन दोनों तालाबों की सफाई करने में ग्रामीण जुटे हुए हैं। विधायक मिथिलेश तिवारी ने भी इन दोनों तालाबों की दशा सुधारने में सहयोग देने की घोषणा की है। कुचायकोट के पट्टीचक गोपी में स्थित चेरो वंश के तालाब का जीर्णोद्धार करने में सांसद जनक राम ने ग्रामीणों को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है। बरौली के प्रेमाश्रम स्थित स्वामी आत्मानंद परमहंस के तालाब का जीर्णोद्धार कराने के लिए नगर पंचायत बरौली ने पहल शुरू कर दी है। इन तालाबों के साथ साथ उचकागांव के ब्रह्माइन तालाब, मीरगंज के पीपरा पोखरा, हथुआ के मछागर लछीराम के ऐतिहासिक टिकुली तालाब, मांझा के सुदा साह के टोला का ऐतिहासिक पोखरा, थावे के विदेशी टोला का ऐतिहासिक तालाब तथा कटेया के छोटकी पोखरा की दशा सुधारने में ग्रामीण जुटे गए हैं। ग्रामीणों के आगे आने से स्थानीय पदाधिकारियों ने भी मनरेगा से इन तालाबों का जीर्णोद्धार कराने की पहल शुरू कर दी है। उन्होने ग्रामीणों को यह आश्वासन दिया है कि पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आमसभा से प्रस्ताव आते ही मनरेगा से तालाबों का जीर्णोद्धार कराने का काम शुरू कराया जाएगा।

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रामजानकी पोखरे की सफाई में जुटे ग्रामीण

विजयीपुर, गोपालगंज। विजयीपुर के प्रखंड मुख्यालय के पश्चिम टोला में स्थित रामजानकी मंदिर के पोखरे की सफाई करने का जिम्मा ग्रामीणों ने उठा लिया है। ग्रामीण इस पोखरे की सफाई करने में जुट गए हैं। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि हथुआ राज के जमाने के इस तालाब की अपनी अलग महत्ता है। कभी इसमें साल भर पानी रहता था। रामजानकी मंदिर आने वाले श्रद्धालु इसमें स्नान करने के बाद मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करते थे। समय के साथ इसमें मिट्टी भरती चली गई। जल संग्रह का क्षेत्र सिमटते जाने से इस तालाब का पानी सूखने लगा है। ऐसी स्थिति से स्थानीय लोग भी चिंतित थे। इस बीच दैनिक जागरण ने तालाबों को बचाने के लिए मुहिम शुरू की। इस मुहिम से प्रेरित स्थानीय लोग इस ऐतिहासिक पोखरे की दशा सुधारने के लिए आगे आए और इस पोखरे को साफ करने में जुट गए।

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पोखरे की दशा सुधारने की करेंगे पहल

रामजानकी पोखरे की स्थिति से हम अवगत हैं। इस पोखरे की दशा सुधारने के लिए हर संभव सहयोग देंगे। कुछ दिन पूर्व रामजानकी मंदिर गया भी था।

अनिल कुमार, विधायक, भोरे विधानसभा क्षेत्र

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रामजानकी मंदिर के साथ ही वहां बना पोखरा लोगों की आस्था का केंद्र है। इसकी दशा से यहां के लोग चिंतित थे। दैनिक जागरण को धन्यवाद। जागरण की मुहिम से प्रेरित होकर अब लोग इस पोखरे की दशा सुधारने के लिए आगे आ गए हैं।

अभिषेक कुमार

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तालाब जल संचय करते हैं। इससे भू जलस्तर बना रहता है। तालाबों का अस्तित्व मिटते जाने से ही देश के कई हिस्सों में जल संकट गहरा गया है। जल संरक्षण के लिए मुहिम चलाने के लिए दैनिक जागरण को धन्यवाद।

गोविंद प्रसाद

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दैनिक जागरण की मुहिम से प्रेरित होकर लोग पोखरे की दशा सुधारने के लिए आगे आने लगे हैं। रामजानकी पोखरे की दशा सुधारने के लिए ग्रामीणों ने पहल शुरू कर दी है। इस पोखरे की दशा हर हाल में सुधारी जाएगी।

ब्रजभूषण मणि


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