भाई साहब.. कैसे करें विश्वास
गोपालगंज : भाई साहब प्रत्येक दिन की तरह रविवार को भी मॉर्निग वॉक पर थे।
गोपालगंज : भाई साहब प्रत्येक दिन की तरह रविवार को भी मॉर्निग वॉक पर थे। भाई साहब के एक पुराने मित्र भी साथ में चल रहे थे। सुबह सात बजे दोनों का मॉर्निंग वॉक समाप्त हुआ और प्रत्येक दिन की तरह दोनों डाकघर चौक के समीप चाय की दुकान पर बैठे। चाय वाले को चाय बनाने का आर्डर दिया। चंद मिनट में शर्मा जी भी पहुंच गए। बातचीत शुरू हुई। बात घूमते-घूमते व्यवसायी पुत्री के अपहरण तक पहुंच गई। चर्चा शुरू हो गई। कुछ ही देर में चर्चा में अन्य लोग भी शामिल हो गए। बात प्रारंभ हुई तो भाई साहब ने कहा कि विश्वास का जमाना ही नहीं रहा। घर की बच्ची का घर वाले ने ही अपहरण कर लिया। और वह भी पैसे के लिए। चर्चा बढ़ने के साथ शर्मा जी बोले आज हमारा समाज कहां जा रहा है। घर में भी बेटियां सुरक्षित नहीं है। काफी देर तक चर्चा होती रही। बात पुलिस की कार्रवाई पर भी पहुंची। हरेक ने पुलिस की कार्रवाई की सराहना की। कुछ ही घंटों में आरोपियों की धर पकड़ की भी लोगों ने तारीफ की। लेकिन चर्चा में शामिल लोग इस बात पर सहमत दिखे कि आज के समय में किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता। भाई साहब ने आखिरकार कह ही दिया कि किस पर व कैसे विश्वास करें। इस सप्ताह हुई शहर की घटना के बाद तो बस जरूरत इसी बात ही है कि हम अपनी आंख को चौबीस घंटे खुली रखें। ताकि अपनों के बीच रहने वाले पराये का फर्क महसूस किया जा सके।
इनसेट
परीक्षा के बहाने
वैसे तो परीक्षा प्रत्येक वर्ष होती है। फरवरी व मार्च का महीना इंटर व बोर्ड परीक्षा का माना जाता है। इस साल भी परीक्षा प्रारंभ हो चुकी है। लेकिन इस बार की परीक्षा में पूर्व की व्यवस्था में बदलाव आया है। शासन के आदेश के बाद परीक्षा केंद्र के अंदर की गतिविधि की ओर झांकने का हक भी छीन लिया गया है। अब तो परीक्षा हॉल के अंदर की बात अंदर ही रह जा रही है। बावजूद इसके कदाचार थमा नहीं है। अंदर की व्यवस्था दुरुस्त होने के प्रशासनिक दावे के बाद भी कदाचार हावी है। हर दिन की परीक्षा में कदाचार के आरोप में परीक्षार्थियों के निष्कासित होना इस बात का पुख्ता सबूत है।