तीन साल का नजीब दे रहा योग करने का संदेश
गीता में लिखा है Þ योग: कर्मशू कौशलमं। पतंजलि ने Þयोग: चित्त वृति निरोधÞ का सूत्र दिया है।
गोपालगंज। गीता में लिखा है Þ योग: कर्मशू कौशलमं। पतंजलि ने Þयोग: चित्त वृति निरोधÞ का सूत्र दिया है। गीता तथा पतंजलि के इस योग सूत्र को साकार कर रहा है तीन साल का नजीब। मांझा प्रखंड के आदमापुर गांव निवासी शिक्षक फरीद आलम तथा शिक्षिका कुलसूम फरीद का पुत्र नजीब तीन साल की छोटी उम्र में ही पश्चिमोत्तानासन, गरुड़ासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, पर्वतासन, पादहस्तासन, अर्धहलासन आदि आसनों में किसी योग शिक्षक की तरफ पारंगत हो गया है। प्रतिदिन सुबह अपने घर में एक घंटा योग करने के दौरान नन्हा नजीब ध्यान तथा योग के माध्यम से लोगों को योग करने का संदेश दे रहा है। नजीब के योग के प्रति इस लगाव को देखते हुए आदमापुर गांव के अन्य बच्चे भी अब योग की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
मांझा प्रखंड के आदमापुर गांव निवासी फरीद आलम तथा इनकी पत्नी कुलसूम फरीद दोनों शिक्षक हैं। शिक्षक फरीद आलम बताते हैं कि उनके घर में योग के प्रति परिवार के सदस्यों में काफी पहले से रुचि रही है। परिवार के अधिकांश सदस्य योग करते हैं। घर में योग का माहौल देख फरीद आलम का तीन साल का पुत्र नजीब भी योग करने लगा। फरीद आलम बताते हैं कि नजीब अभी ठीक से बोल भी नहीं पाता है। लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों को देख कर तथा तथा टीवी से तस्वीरें देख कर योग सीखने लगा। अब तो तीन साल का नन्हा कई तरह के आसनों में पारंगत हो गया है। यह प्रतिदिन सुबह एक घंटा योग करता है। इन्हें नजीब को योग करते देख अब इस गांव के अन्य बच्चों में भी योग के प्रति रुचि बढ़ने लगी है। मुस्लिम समुदाय में योग के प्रति असमंजस की स्थिति के बारे में पूछने पर शिक्षक फरीद आलम कहते हैं कि हम तथा हमारे परिवार के अधिकांश सदस्य योग करते हैं। नन्हे नजीब को योग करते देख सभी लोग खुश ही होते हैं। हमे तो यह कभी नहीं लगा कि मुस्लिम को योग नहीं करना चाहिए। योग वह आसन है जो सभी को स्वस्थ बनाता है।