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सर्द हवाएं झेल रहे आवासीय विद्यालय के छात्र

इस विद्यालयों के छात्रों के पढ़ने लिखने के साथ ही रहने और खाने पीने की भी व्यवस्था सरकार ने की है।

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 04:59 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 04:59 PM (IST)
सर्द हवाएं झेल रहे आवासीय विद्यालय के छात्र

गोपालगंज। इस विद्यालयों के छात्रों के पढ़ने लिखने के साथ ही रहने और खाने पीने की भी व्यवस्था सरकार ने की है। स्कूल परिसर में छात्रावास है और छात्रों का खाना बनाने के लिए रसोई भी। छात्र पढ़ लिख सकें, इसके लिए इन्हें निश्शुल्क कॉपी से लेकर कलम भी दिए जाने की व्यवस्था है। लेकिन इन सभी सुविधाओं के बीच हथुआ स्थित बाबा साहब डा.भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय के छात्र दुश्वारियां झेल रहे हैं। सात साल से अधूरे पड़े इस विद्यालय के छात्रावास में रहने वाले छात्र कड़ाके की इस ठंड में सर्द हवाएं झेल रहे हैं। छात्रावास की टूटी खिड़कियों के कारण इनकी रातें ठिठुरते हुए ही बीत रही है। कॉपी कलम मिलने की भी अभी यहां के छात्र राह देख रहे हैं।

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हथुआ में 2009 में लाखों रुपये की लागत से डा.भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। देखते ही देखते विद्यालय तथा छात्रावास भवन बन कर तैयार भी हो गया। लेकिन फिनि¨शग का कार्य छोड़ कर संवेदक काम छोड़ कर फरार हो गए। नतीजन निर्माण कार्य अधूरा छोड़ने का खामियाजा इस आवासीय विद्यालय के छात्र भुगत रहे हैं। छात्रों ने बताया कि इस विद्यालय में 354 छात्र हैं। ये सभी छात्र विद्यालय परिसर में बने छात्रावास में रहते हैं। लेकिन 354 छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र तीन शिक्षक हैं। इन छात्रों का खाना बनाने के लिए रसोइया भी मात्र दो हैं। ऐसे में शिक्षकों की कमी से पढ़ाई चौपट होने के साथ ही छात्रों को खाना भी ठीक से नसीब नहीं हो रहा है। छात्र बताते हैं कि रसोई के साथ मिल कर खाना बनाना पड़ता है। तभी उन्हें खाना मिल पाता है। छात्रों को सबसे अधिक कठिनाई सर्द रातें काटने में हो रही है। छात्र बताते हैं कि छात्रावास की खिड़कियां टूटी हुई है। सर्द हवाएं रात भर परेशान करती है। पूरी रात ठिठर कर काटनी पड़ रही है। वे बताते हैं कि उन्हें निश्शुल्क कॉपी-कलम भी दी जाती है। लेकिन इस बार वह अभी तक नहीं मिली है। वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर इस आवासीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक मधुसूदन साह कहते हैं कि इस विद्यालय में दस शिक्षकों का पद है। लेकिन सात शिक्षकों ने योगदान ही नहीं दिया। इनकी जगह चार सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवा ली जा रही है। यहां रात्री प्रहरी भी नहीं है। इस विद्यालय की सभी समस्याओं से वरीय पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।


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