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दान-दहेज से तौबा कर दूल्हे ने उपहार में लिए हजार पौधे

शादी, सामाजिक जीवन का एक अहम मोड़ है। तमाम लोग इसे यादगार बनाने के लिए न जाने क्या-क्या तरीके अपनाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 03:01 AM (IST)
दान-दहेज से तौबा कर दूल्हे  ने उपहार में लिए हजार पौधे
दान-दहेज से तौबा कर दूल्हे ने उपहार में लिए हजार पौधे

गोपालगंज। शादी, सामाजिक जीवन का एक अहम मोड़ है। तमाम लोग इसे यादगार बनाने के लिए न जाने क्या-क्या तरीके अपनाते हैं। कोई हजारों फीट ऊंचाई पर हवाई जहाज में तो कोई समुद्र की गहराइयों में पनडुब्बी में शादी रचाते हैं। इन सबसे इतर कुचायकोट प्रखंड के जलालपुर गांव निवासी नंदकिशोर प्रसाद के शिक्षक पुत्र आलोक कुमार की शादी उनके पर्यावरण प्रेम और दहेज विरोध के कारण क्षेत्र में चर्चित है। शिक्षक आलोक ने दहेज लेने से साफ इन्कार कर दिया। लड़की पक्ष के बहुत जोर देने पर तोहफे के रूप में हजार पौधे लिए। बहूभोज के दिन नवदंपति ने स्टाल के पीछे खड़े होकर मेहमानों को एक-एक पौधा दे हाथ जोड़ कर उसकी देखरेख करने का निवेदन किया।

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हर माह लगाते दस पौधे :

आलोक कुमार प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय लोहारपट्टी में शिक्षक हैं। बचपन से ही इन्हें प्रकृति से बेहद लगाव है। पेड़-पौधों की कटाई से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से ये व्यथित रहते थे। इसी बीच शिक्षक पद पर इनकी नौकरी लग गई। इसके बाद इन्होंने बच्चों को पढ़ाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने का लक्ष्य बना लिया। आलोक कुमार ने संकल्प लिया कि वे हर माह काम से कम दस पौधे जरूर लगाएंगे। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर तथा विद्यालय परिसर से की।

कुछ ही माह हुए थे कि मीरगंज निवासी सेवानिवृत शिक्षक गौरीशंकर प्रसाद की बेटी सोनाली कुमारी से उनकी शादी तय हो गई। सामाजिक कुरीतियों के विरोधी रहे आलोक कुमार ने दान-दहेज के बिना शादी करने का अपना निर्णय वधूपक्ष को बता दिया। बेटी को खाली हाथ कैसे भेजेंगे, यह कहकर कन्यापक्ष कुछ उपहार लेने पर जोर देने लगा। काफी दबाव देने पर शिक्षक ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उपहार में एक हजार पौधों की मांग की। एकबारगी यह मांग वधू पक्ष को अटपटी लगी पर, दूल्हे की इच्छा को देखते हुए उन्होंने स्वीकार कर ली। 17 जून को बेहद सादगी से शादी होने के बाद 19 जून की देर शाम बहूभोज के दिन कन्या पक्ष ने एक हजार पौधे उपहार के रूप मे वर पक्ष को भेंट किए।

बहूभोज का कार्यक्रम शुरू हुआ तो उसका नजारा थोड़ा अलग था। वर-वधू पौधों के स्टाल पर खड़े होकर सभी मेहमानों को उपहार में एक-एक पौधा दे रहे थे। साथ ही सभी मेहमानों से विशेष आग्रह कर रहे थे कि पौधे लगाने के साथ उसकी उचित देखभाल अवश्य करें। ताकि ये पौधा एक दिन विशाल वृक्ष बन लोगों को छाया देने के साथ पर्यावरण को शुद्ध करने मे योगदान दे सके।


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