समस्याओं से जूझ रही बरी इसर पंचायत
गोपालगंज। हथुआ की बरी इसर पंचायत के ग्रामीण अभी भी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस पंचायत में विकास के न
गोपालगंज। हथुआ की बरी इसर पंचायत के ग्रामीण अभी भी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस पंचायत में विकास के नाम पर सड़कें बनी, खेतों की ¨सचाई के लिए नलकूप लगे तथा ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके, इसके लिए एक स्वास्थ्य उप केंद्र खोला गया। लेकिन सड़क से लेकर ¨सचाई व सभी सरकारी सुविधाएं यहां बदहाल हैं। सड़कों की हालत यह है कि प्रखंड मुख्यालय से ही समस्या शुरू हो जाती है। ¨सचाई के लिए लगाया गया नलकूप बंद पड़ा है। निजी भवन में खोला गया स्वास्थ्य उप केंद्र भी सुविधाओं को तरस रहा है। इस पंचायत से एक नहर भी गुजरी है। लेकिन यह नहर कई सालों से खुद पानी के लिए तरस रही है। जन वितरण प्रणाली से राशन किरासन पाने से लेकर इंदिरा आवास के लिए भी लोगों को पापड़ बेलने पड़ते हैं। आलम यह है कि द्वितीय किश्त की राशि नहीं मिलने से डेढ़ सौ से अधिक इंदिरा आवास अधूरे पड़े हुए हैं।
प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित है बरी इसर पंचायत।सिवान की सीमा से जुड़ी इस पंचायत में रेपुरा, बरी इसर, बरी देवरिया, जैनन, बरी धनेस, डोमहा टाला तथा बलुवां टोला गांव पड़ता है। इन सभी गांवों में सड़क की बदहाली समस्या बनी हुई है। ग्रामीण बताते हैं कि प्रखंड मुख्यालय से इस पंचायत में आने वाली सड़क की बदहाली से ही सड़कों की समस्या शुरू हो जाती है। प्रखंड मुख्यालय से इस पंचायत तक जाने वाली हथुआ-रेपुरा सड़क अब चलने लायक नहीं है। जर्जर हो चुके इस पथ पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि इस पंचायत के बलुवां टोला से देवरिया जाने वाली सड़क का अभी तक पक्कीकरण नहीं हुआ है। कच्चे रास्ते से होकर ही ग्रामीण आने जाने के लिए मजबूर हैं। मुख्य सड़क के साथ ही गांवों की सड़कों की दशा भी बदहाल है। हालांकि इस पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक स्वास्थ्य उप केंद्र खोला गया है। लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि एक निजी भवन में चल रहा यह स्वास्थ्य केंद्र अक्सर बंद रहता है। ऐसे में इलाज कराने के लिए ग्रामीणों का प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। खेतों की ¨सचाई भी इस पंचायत के किसानों के लिए समस्या बनी हुई है। ऐसा तब है जबकि इस पंचायत से होकर नहर गुजरती है तथा एक नलकूप भी लगाया गया है। लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि नलकूप के लिए ट्रांसफार्मर नहीं लगाने से यह बंद पड़ा हुआ है। वहीं पिछले आठ साल से नजर में पानी नहीं छोड़े जाने से नहर सूखी पड़ी है। इस पंचायत में बच्चों को पढ़ने के लिए मध्य विद्यालय से लेकर आंगनबाड़ी केंद्र हैं। ग्रामीण बताते हैं कि मध्य विद्यालय से आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। पंचायत की चार आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन हैं। ये आंगनबाड़ी केंद्र सेविकाओं के घर से ही संचालित होते हैं। सड़क से लेकर ¨सचाई की समस्या झेल रहे इस पंचायत के ग्रामीणों को राशन किरासन से लेकर अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए भी पापड़ बेलना पड़ता है। आलम यह है कि द्वितीय किश्त नहीं मिलने से इस पंचायत में डेढ़ सौ इंदिरा आवास अधूरे पड़े हुए हैं।
इस पंचायत में सड़कों की बदहाली सबसे बड़ी समस्या है। प्रखंड मुख्यालय से पंचायत तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। गांवों में तो सड़कों की दशा और खराब है। मुखिया को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
कन्हैया प्रसाद, अधिवक्ता
खेतों की ¨सचाई करने में काफी समस्या झेलनी पड़ती है। नहर है तथा नलकूप भी लगा है। लेकिन नलकूप बंद पड़ा हुआ है और नहर में कई सालों से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। इस पंचायत में खेती भगवान भरोसे होती है। हर साल फसलें बर्बाद होती हैं।
रामाशंकर मांझी
सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ता है। अधिकांश लोग अभी भी सामाजिक पेंशन योजना के लाभ से वंचित हैं। इंदिरा आवास भी अभी पहुंच से दूर बना हुआ है। द्वितीय किश्त नहीं मिलने से इंदिरा आवास अधूरे पड़े हुए हैं।
अजय मांझी
इस पंचायत में सड़क की समस्या सबसे गंभीर है। सड़कों की दशा सुधारने की दिशा में पहल की जा रही है। नहर में पानी छोड़ा जाए, इसके लिए भी प्रयास किया जा रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ सभी को मिले इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है।
ब्रजेश कुमार, मुखिया, बरी इसर पंचायत