सूख रहे बिचड़े, आसमान ताक रहे किसान
गोपालगंज। हालांकि आसमान में बादल उमड़ रहे हैं। लेकिन उमड़ते बादलों के नहीं बरसने से सूखे पड़े खेत किस
गोपालगंज। हालांकि आसमान में बादल उमड़ रहे हैं। लेकिन उमड़ते बादलों के नहीं बरसने से सूखे पड़े खेत किसानों को यह एहसास करा रहे हैं कि आज भी उनकी खेती प्रकृति के भरोसे ही है। बारिश समय पर शुरू नहीं होने से खेतों में धान के बिचड़े जल रहे हैं और माथे पर हाथ रख किसान खेतों को निहार रहे हैं। किसानों की अब सारी उम्मीद बारिश पर ही टिकी है और बारिश के लिए किसान आसमान में टकटकी लगाए बैठे हैं। ऐसा तब है जबकि इस जिले में गंडक मुख्य नहर है तो उससे निकली नहरों का भी जाल है। लेकिन नहरों में समूचित पानी नहीं होने के कारण किसान खुद को लाचार और विवश महसूस कर रहे है। कुछ ऐसी ही स्थिति नलकूपों की भी है। पूरे जिले में कागज पर तो 134 नलकूप लगाये गये हैं। साथ ही नालों की व्यवस्था पर भी करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं। बावजूद इसके नलकूपों की व्यवस्था किसानों का मुंह चिढ़ा रही है। किसानों का कहना है कि सरकार कृषि क्षेत्र को विशेष महत्व दे रही है। तमाम सुविधाएं तथा योजनाएं किसानों तथा कृषि को बढ़ावा देने के लिए चलाये जा रही हैं। सिंचाई विभाग तथा नलकूप विभाग द्वारा भारी भरकम राशि खर्च किया जा रहा है। लेकिन सरकारी संसाधन, चाहे नहर हो या नलकूप, उससे एक कट्ठा जमीन पर भी किसान रोपाई नहीं कर पाये हैं। किसानों की मानें तो नलकूपों की व्यवस्था को कारगर तरीके से लागू नहीं करने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। वे खेतों की सिंचाई के लिए निजी पंपसेटों के सहारे हैं। असाढ़ के महीने में भी बारिश नहीं होने के कारण किसानों को इस बात की चिंता खाए जा रही है कि खेतों में धान की उपज कैसे होगी। विशेषकर उस स्थिति में जब सरकारी सिंचाई व्यवस्था पूरे जिले में पूरी तरह से लचर हो चुकी है।