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अब चारे के संकट से जूझ रहे पशुपालक

संवाद सूत्र, कुचायकोट (गोपालगंज) : गेहूं की कटाई के साथ ही पशुपालकों के सामने अपने पशुओं के लिए चारे

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 12:58 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 12:58 AM (IST)
अब चारे के संकट से जूझ रहे पशुपालक

संवाद सूत्र, कुचायकोट (गोपालगंज) : गेहूं की कटाई के साथ ही पशुपालकों के सामने अपने पशुओं के लिए चारे की समस्या उठ खड़ी हुई है। ऐसा तब है जबकि पहले से ही चारे की कमी से जूझ रहे पशु पालक इस उम्मीद में गेहूं की कटाई का इंतजार कर रहे थे कि कटाई शुरू होने के बाद चारा का संकट दूर हो जाएगा। लेकिन कटाई के बाद यह संकट और गहरा गया है। गेहूं की फसल का अधिकांश हिस्सा कंबाइन से कटने तथा भूसे पर बड़े व्यापारियों की नजर पड़ जाने के कारण इसकी कीमत अभी से आसमान छूने लगी है। पशुपालक बताते हैं कि गेहूं की कटाई कंबाइन से शुरु होने के साथ ही चारे की समस्या आने लगी थी। अब सीमित मात्रा में ही किसान थ्रेसर से गेहूं की दवनी कराते है। दवनी से निकले भूसे को किसान खरीद कर पशुओं को खिलाते है। लेकिन अब इस भूसे पर बड़े व्यापारियों की नजर है। व्यापारी अभी भूसे को बड़े पैमाने पर खरीद कर उसका भंडारण कर रहे हैं। पशुपालकों का कहना था कि अभी से ही भूसा आठ से दस रुपया प्रति किलो बिकने लगा है, जो आने वाले समय में और महंगा होगा। हालांकि कुछ जगह कंबाइन से गेहूं काटने के बाद डंठल से भूसा बनाने वाली मशीन का प्रयोग कर भूसा बनाया जा रहा है। जिसे 1500 से 1800 रुपये प्रति ट्राली बेचा जाता है। लेकिन, इस भूसा की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने से जानवर इसे खाने से कतरा रहे हैं। ऐसे में थ्रेसर से निकले भूसे की मांग बढ़ती जा रही है और इसकी के साथ ही भूसा का दाम भी बढ़ता जा रहा है।

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