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भेड़िया व सियार में भी होते हैं रैबीज के विषाणु

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 01:10 AM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 01:10 AM (IST)
भेड़िया व सियार में भी होते हैं रैबीज के विषाणु

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : विश्व रैबीज दिवस पर जिला पशु अस्पताल परिसर में रविवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान आम लोगों को रेबीज के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि पालतू कुत्ते को इसका इंजेक्शन दिया जाना नितांत जरुरी है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मनुष्यों में रेबीज रोग के लक्षण व इससे बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

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इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन जदयू के जिलाध्यक्ष सदानंद सिंह ने किया। इस मौके पर कई पालतू कुत्ते को रेबीज का इंजेक्शन भी दिया गया। इस मौके पर जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. दिनेश कुमार चौधरी ने बताया कि रेबीज का विषाणु रेबीज ग्रसित जानवरों के लार में मौजूद रहता है। कुत्ते के अलावा यह बीमारी काटने की प्रवृति वाले अन्य पशुओं बिल्ली, भेड़िया, चमगादड़ व सियार के काटने से भी होता है। उन्होंने बताया कि गाय व भैंस आदि पशु भी इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। लेकिन इनमें काटने की प्रवृति नहीं होती। उन्होंने बताया कि रेबीज का प्रभाव सबसे अधिक मनुष्यों में बिना मालिक वाले अवारा कुत्तों के काटने से होता है। पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि रेबीज से ग्रसित जानवरों के चेहरे व भाव भंगिमा से बीमारी का आभास हो जाना है। उन्होंने बताया कि रेबीज से ग्रसित कुत्तों को पानी से डर लगता है। श्री चौधरी ने बताया कि मनुष्यों में रेबीज का सबसे बड़ा लक्षण उल्टी, कंठ में सूजन, चिड़चिड़ापन, सरदर्द, भूख मे कमी, थकान व बुखार आदि है। आक्रांत रोगी को पानी से डर लगने लगाता है तथा रोग का लक्षण प्रकट होने की अवधि काटने के स्थान से मस्तिष्क की दूरी पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि पागल कुत्तों के काटने से हुए घावों को पानी के तेज धार से धोना चाहिए। साथ ही पीड़ित व्यक्ति को उपचार के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस मौके पर राघो सिंह, दरोगा सिंह, जयराम प्रसाद तथा मोहम्मद आदिल आदि कई लोग मौजूद थे।


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