..मानों इस चुनाव से नहीं था किसी को मतलब
जेएनएन, छपरा/सिताबदियारा (सारण) : छपरा विधानसभा उपचुनाव में सिताबदियारा में मतदान के दिन गुरुवार को ऐसा लग रहा था मानों किसी को इस चुनाव से कोई मतलब ही नहीं है। मतदाता काफी कम संख्या में घरों से बाहर निकल रहे थे। वैसे छुटभैया नेता व अलग-अलग दलों के समर्थक मतदाताओं को घर से निकालने के प्रयास में जी-जान से लगे थे, किंतु कोई खास असर छुटभैया नेता मतदाताओं पर नहीं डाल सके। दिन के 12.30 पर हम चैन छपरा बूथ पर थे। वहा पाच- सात लोग वोट देने के लिए कतार में खड़े थे। एक बजे हमने जब गरीबा टोला मिडिल स्कूल पर मतदान करने वालों को देखा, तो वहा भी यही स्थिति थी। हम 2.30 पर आलेख टोला के माधव प्रसाद सिंह इंटर कालेज पर थे। वहा भी कुल मिलाकर दर्जनभर लोग ही मत डालने के लिए जाते हुए दिखे। महिलाओं में भी यहा कोई खास उत्साह नहीं था। घटे-दो घटे बाद एक-दो की संख्या में महिलाएं घरों से निकलती थीं और मतदान कर तुरंत घर वापस हो जाती थीं। कई घरों के सामने बाढ़ का पानी जमा हो जाने से भी महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलीं।
यूपी से सटे हाने के चलते खूब थी चौकसी
सिताबदियारा और प्रभुनाथ नगर पंचायत से यूपी की सीमा सटे होने के चलते यहा प्रशासनिक चौकसी भी खूब की गई थी। बीएसटी बाध के गरीबा जीप स्टैंड में एक तरह से प्रसाशन ने बैरियर लगा रखा था। यहा से गुजरने वाले हर किसी पर प्रशासन की विशेष नजर थी। वाहनों के परिचालन पर रोक तो नहीं थी, किंतु किसी भी रूट के वाहन इस दिन नहीं चल रहे थे। यह बीएसटी बाध ही यहा यूपी-बिहार की सीमा का निर्धारण करता है। इस वजह से प्रशासन की विशेष नजर इस बंधे पर भी थी। दूर से ही कोई शरारती तत्व दिख जाए, इसके लिए विद्यालयों के छतों पर भी अर्द्धसैनिक बल के जवानों ने मोर्चा संभाल रखा था। कुल मिलाकर शाम तक यहा सर्वत्र शांति से ही मतदान संपन्न हुआ।
प्रभुनाथनगर में तो सड़कें भी थी बाधित
घाघरा के उफान से आए बाढ़ का पानी प्रभुनाथ नगर जाने वाली सड़कों पर अभी था। इस वजह से वहा की रिपोर्ट लेने में पेट्रोंलिंग टीम को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मतदान की स्थिति वहां भी सिताबदियारा के ही समान थी। बाढ़ के पानी से घिरे इस गाव के मतदाता भी काफी कम संख्या में घरों से निकल रहे थे।