मिलों दूर दिख रही मंजिल
कार्यालय संवाददाता, गोपालगंज : कुपोषण के रोकथाम के लिए अबतक किये गये तमाम प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से लेकर आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से किये गये तमाम उपायों के बाद कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी नहीं आना इस बात का पुख्ता प्रमाण है। इसमें विभाग का भी कोई दोष नहीं। कर्मियों की कमी इसमें सबसे बड़ी बाधा बतायी जाती है। जिस रफ्तार से कुपोषण पीड़ित लोगों की पहचान की जा रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि अभी कुपोषण से मुक्ति मीलों दूर है।
कुपोषण से मुक्ति के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुर्नवास केन्द्र (एनआरसी) की स्थापना की गयी थी। माह जनवरी 2012 से अबतक इस केन्द्र पर सैकड़ों कुपोषित बच्चों का इलाज हो चुका है। इलाज के नाम पर जच्चा व बच्चे को संतुलित आहार भी दिया गया। इसके बाद भी बच्चों में कुपोषण की समस्या समाप्त हुई या नहीं, इसे बता पाने में स्वास्थ्य विभाग विफल साबित हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि जिले में अभी भी हजारों की संख्या में बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। इसके इतर कुपोषितों की पहचान के लिए सिर्फ एक कर्मी (सीबीसी एक्सक्लेंडर) है। इस संबंध में जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने चुप रहना ही मुनासिब समझा।
कुपोषण से बचाव के उपाय
* नियमित रूप से पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी
* 6 माह तक के बच्चों को उनकी माताएं सिर्फ स्तनपान कराएं
* गर्भवती महिलाएं नियमित रूप से आयरन फालिक एसिड की गोलियां लें।
* अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराएं।
* सभी बच्चे, किशोरियों व महिलाओं की समय-समय पर खून की जांच हो।
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