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महेर पहाड़ी की श्रृंखला में खनिज और पर्यटन की असीम संभावना

गया। मगध क्षेत्र का धरोहर। टनकुप्पा प्रखंड स्थित लंबी पहाड़ी श्रृंखला महेर। गया रजौली स्टेट हाइव

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 10:40 PM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 10:40 PM (IST)
महेर पहाड़ी की श्रृंखला में खनिज और पर्यटन की असीम संभावना
महेर पहाड़ी की श्रृंखला में खनिज और पर्यटन की असीम संभावना

गया। मगध क्षेत्र का धरोहर। टनकुप्पा प्रखंड स्थित लंबी पहाड़ी श्रृंखला महेर। गया रजौली स्टेट हाइवे 70 पर सड़क से सटे काबिज है। इसके गर्भ में खनिज संपदा का अकूत भंडार छिपा है। साथ ही लंबी पहाड़ी श्रृंखला से जुड़े रहने और मनोरम स्थल होने के नाते पर्यटन स्थल बनने की क्षमता से सर्वगुण संपन्न है। दो दशक पूर्व पहाड़ी के अंदर गर्भ में छिपी खनिज संपदाओं का पता लगाकर खनन विभाग कर चुकी है। जाच रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को सौंप गए थे। लेकिन इस तरफ सरकार का ध्यान नहीं जा पा रहा है। पहाड़ी श्रृंखला की लंबाई 12 किलोमीटर है। जो सीधे राजगृह के पहाड़ों से जाकर मिलती है। आज भी पहाड़ की तराई से निकलने वाला पानी में तैलीय है। और काला पदार्थ निकलता है। क्षेत्र के समाजसेवियों द्वारा 1985 में केंद्र सरकार को महेर पहाड़ी श्रृंखला के गर्भ में छिपी संपदा की जाच कराने की आग्रह की गई थी। इसके बाद केंद्रीय टीम आई थी।

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पहाड़ी श्रृंखला का मनोरम दृश्य गया-रजौली वाया महेर स्टेट हाइवे 70 से सड़क मार्ग से गुजरने वाले यात्रियों को अपनी ओर बरबस ही ध्यान आकृष्ट कराता है। पहाड़ की चोटी पर मुस्लिम और ¨हदू धर्म के पूजनीय स्थल हैं। एक प्राचीन मंदिर है। तो यहां मजार भी है। हर साल सूफी संतो का आगमन यहां होता है। पहाड़ हरे-हरे पेड़ों से आच्छादित है। जिसमें वन्य प्राणियों ने शरणस्थली बना रखा है। पेड़-पौधों से मिलने वाली शुद्ध हवा से लोगों को अच्छी सेहत प्रदान करता है। पहाड़ के तल में बसा नावागढ़ गांव निवासी अरूण कुमार सिंह, डा. सिद्धार्थ आदि बताते हैं कि पहाड़ के अंदर कोयला और पेट्रोलियम संपदा छिपी है। 1985 में केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई खनन विभाग की टीम महेर आई थी। पहाड़ के गर्भ में छिपी संपदाओं का पता लगाने के लिए जाच की थी। उस वक्त दल द्वारा लोगों को बातचीत में बताया गया था कि पहाड़ के अंदर कोयला और पेट्रोलियम पदार्थ छिपी है। इन सभी का कहना है कि उनके पूर्वज भी इस बात को कहा करते थे। पहाड़ के उपर अभी भी जंगली जानवर निवास करते हैं। जो गर्मी के दिनों में झरना के पास पानी पीने के लिए आते हैं। महेर पहाड़ पर्यटक स्थल बनने के हर पैमाने पर खरा उतरता है। क्षेत्र की मनोरम दृश्य को देख लोग खास मौके पर पिकनिक मनाने के उद्देश्य से आते रहते हैं। जिसमें क्षेत्रीय लोगों के अलावा दूर से आने वाले भी यहां पिकनिक का आनंद लेते हैं। इस पहाड़ी पर सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दी जाती है। बौद्ध धर्म से जुड़ी कुछ तथ्य प्राप्त होने पर पांच सालों से देश विदेश के बौद्ध धर्मावलंबी आते रहे हैं। किवदंतियों के अनुसार भगवान बुद्ध भिक्षाटन के वक्त महेर पहाड़ी की श्रृंखला से होकर ही गुजरे थे। और कुछ दिन विश्राम-ध्यान भी किए थे। आसपास के लोगों का कहना है कि यदि सरकार इस महेर पहाड़ी की श्रृंखला के मसले पर पर्यटन के दृष्टिकोण से विचार कर इसका विकास करती है। तो क्षेत्र के विकास के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र से अच्छी राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही पर्यटक स्थल का दर्जा भी इसे मिल जाएगा।


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