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विधानसभा चुनाव : दंगल में उतरने से पहले का समर

विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही प्रत्येक नेता अपने को दूसरे प्रत्याशी से बेहतर साबित करने की होड़ में लग गया है। इस बार गठबंधन की वजह से दावेदारों की संख्या भी बढ़ी हुई है। प्रत्याशियों के लिए यह खासी परेशानी की वजह है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 08:45 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 08:55 AM (IST)
विधानसभा चुनाव : दंगल में उतरने से पहले का समर

गया [आलोक रंजन]। विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही प्रत्येक नेता अपने को दूसरे प्रत्याशी से बेहतर साबित करने की होड़ में लग गया है। अपने दल में अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए उसके लिए ऐसा करना जरूरी भी है। इस बार गठबंधन की वजह से दावेदारों की संख्या भी बढ़ी हुई है। प्रत्याशियों के लिए यह खासी परेशानी की वजह है।

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टिकारी विधानसभा में चुनाव के पहले दावेदारी का मुकाबला ही खासा दिलचस्प है। यहां राजद जदयू गठबंधन में जदयू, राजद व कांग्रेस के नए पुराने नेता भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसके पीछे वजह यह कि यहां से जीते विधायक जदयू का साथ छोड़कर जीतन राम मांझी की पार्टी हम का दामन पकड़ चुके हैं।

वहीं राजग गठबंधन में भाजपा, हम, लोजपा, रालोसपा आदि के नेताओं में अपने अपने को मजबूत साबित करने की होड़ है। महागठबंधन में इस क्षेत्र के लिए सबसे मजबूत दावा जदयू का ही बनता है। पिछले विधान सभा में जदयू उम्मीदवार को ही यहां से जीत हासिल हुई थी।

वहीं राजद के नेता यह दावा कर रहे हैं पिछली जीत में अहम भूमिका निभाने वाला आधार वोट जीते विधायक के साथ ही हम में चला गया है। ऐसे में गठबंधन के लिए जो आधार वोट बचे हैं, उसपर राजद का दावा ज्यादा बनता है। इसके पूर्व भी लम्बे समय तक इस क्षेत्र पर राजद का ही कब्जा रहा है। सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की ओर से दावेदारों के तर्क कुछ खास नहीं हैं। कांग्रेस पिछले कई दशक से विधानसभा चुनावों में रेस से बाहर रही है।

ऐसे में यदि महागठबंधन की तस्वीर अगर धुंधली है तो दूसरी ओर की स्थिति भी अभी साफ नहीं हो पायी है। जदयू छोड़कर हम में गए वर्तमान विधायक इस क्षेत्र पर अपना नैसर्गिक अधिकार मानते हैं। सिंटिंग गेटिंग के हिसाब से उनका यह दावा जायज भी है। वहीं राजग गठबंधन के अगुआ भाजपा के कार्यकर्ता चुनाव चिन्ह पर स्थानीय उम्मीदवार की मांग पुरजोर तरीके से उठाकर इनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं।

वहीं लोजपा का दावा है कि एक बार इस सीट पर वो जीत हासिल कर चुकी है। इसलिए उसका दावा भी बनता है। दिलचस्प यह है कि वर्तमान विधायक पिछले तीन बार से लगातार जीत हासिल कर तो रहे हैं लेकिन वे लगातार दल बदलते रहे हैं। मूल रूप से गठबंधन के अन्य दलों की तरफ से सीट पर दावा करने का आधार भी यही है।


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