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महकमे का अंग रहा अनुज और शंकर किया कानून भंग

गत वर्ष की बात है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की जब घोषणा की थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 08:20 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 08:20 PM (IST)
महकमे का अंग रहा अनुज और शंकर किया कानून भंग
महकमे का अंग रहा अनुज और शंकर किया कानून भंग

गया। गत वर्ष की बात है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की जब घोषणा की थी। तो हर महकमे में इस कानून और शराबबंदी को पूर्ण सफल बनाने के लिए शपथ ली गई थी। उस वक्त सूबे के हर पुलिस थाना में अधिकारी से लेकर जवानों ने शपथ ली थी। ऐसा कराने के पीछे मुख्यमंत्री श्री कुमार की सोच थी कि पुलिस महकमा के लोग इस कानून को सख्ती से अनुपालन कराएंगे। परिणाम भी सामने आने लगे। अवैध शराब की आवक गया जिले में न तो बंद हुई है। थम ही नहीं रहे हैं। ऐसी बात भी नहीं। कि पुलिस या संबंधित उत्पाद विभाग चुप बैठा है। हर दिन कहीं न कहीं से शराब, शराबी और अवैध कारोबारी के पकड़े जाने की खबरें आ ही रही है। लेकिन दो दिनों पहले गया शहर में जो सच सामने आया। उससे पुलिस महकमा पर बदनुमा दाग लगाने जैसी बात है। आरक्षी संवर्ग का अनुज कुमार और शंकर प्रसाद अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त पाया गया। कब से हो रहा था। ये तो वहीं जाने। जिन्होंने इन दोनों की गतिविधियों के बारे में पुलिस के वरीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी होगी। हालांकि, विभागीय कार्रवाई के तहत वरीय पुलिस अधीक्षक गरिमा मलिक ने देर न करते हुए तत्काल प्रभाव से दोनों जवानों को निलंबित कर दिया। एसएसपी के इस कार्रवाई के पीछे मंशा साफ है। वो ये कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि शराबबंदी कानून को तोड़ने वाले कोई भी हों। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। शंकर प्रसाद और अनुज कुमार जैसे आरक्षी को पैंथर मोबाइल की टीम में शामिल करने वक्त महकमा के वरीय अधिकारियों ने कदापि नहीं सोचा होगा कि उनका ही अंग महकमा को दगा देकर बदनुमा 'दाग' लगा देगा। शहर में इस बात की चर्चा हो रही है कि पैंथर मोबाइल में रहा जवान शंकर प्रसाद और अनुज कुमार निलंबित तो हो गया। शहरियों में हो रही चर्चा को एक क्षण को सही मान लें। तो शंकर और अनुज जैसे और भी कई हैं। लेकिन शहरवासी पुलिसिया भय से अपना मुंह सभी के सामने खोलना उचित नहीं समझते हैं।

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इनका है कहना

एसएसपी के इस कार्रवाई और शराबबंदी कानून पर 20 सूत्री क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष रह चुके मिथलेश कुमार सिंह कहते हैं कि शराबबंदी कानून को जनता समझ नहीं रही है। घर में शराब पीते या बरामद होने या किराएदार द्वारा शराब पीने पर मालिक को जेल जाना पड़ेगा। गांव, पंचायत में शराब मिली तो मुखिया या थानेदार नपेंगे। लेकिन ये सारे शराब बिहार की धरती पर पकड़ी जा रही है। तो इसके लिए कौन दोषी होगा। श्री सिंह का कहना है कि इस पर तब तक रोक नहीं लगेगा। जब तक कि शराब का उत्पाद पर रोक नहीं लगेगी।

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रेल लाइन से सटे बंकर से शराब बरामद

उत्पाद विभाग की टीम ने डेल्हा थाना क्षेत्र के बैरागी मोहल्ले में रेलवे लाइन से सटे इलाकों में छापामारी कर जमीन के अंदर छिपाकर रखे गए झारखंड निर्मित देसी शराब के 36 सौ पाउच बरामद किया है। प्रभारी सहायक आयुक्त उत्पाद अशोक कुमार ने बताया कि बंकर बनाकर यहां छिपाकर रखा था। 18 बोरियों में रहे 36 सौ पाउच बरामद करते हुए अज्ञात के विरुद्ध कांड दर्ज किया गया है। श्री कुमार ने बताया कि इसके अलावा डेल्हा थाना क्षेत्र के धनियाबगीचा, चाकंद थाना क्षेत्र के बढ़ई बिगहा, सियारभुक्का, पीरबिगहा तथा बेलागंज थाना क्षेत्र के रौना गांव में अवैध शराब के विरुद्ध कार्रवाई की गई।


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