Move to Jagran APP

यूपी के बाद अब बिहार में भी बंद होगा 'अवैध बूचड़खाना'

बिहार के गया में भी अब अवैध बूचड़खाना बंद होगा। नगर निगम ने नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है। नगर निगम द्वारा गठित टीम बूचड़खाना को बंद कराने के लिए काम शुरू करने वाली है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 10:21 PM (IST)
यूपी के बाद अब बिहार में भी बंद होगा 'अवैध बूचड़खाना'
यूपी के बाद अब बिहार में भी बंद होगा 'अवैध बूचड़खाना'

पटना : उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार में भी अवैध बूचड़खाने बंद किए जाएंगे। सरकार जिलों में चल रहे वैध बूचड़खाना पर भी नजर रखेगी। इस सिलसिले में सभी जिलों के डीएम व एसपी को पत्र लिखा गया है। जिसमें उनसे कहा गया है कि वे अवैध बूचड़खानों को तत्काल बंद करा मुख्यालय को रपट भेजें। साथ ही वैध बूचड़खानों पर भी नजर रखें।

loksabha election banner

विधान परिषद में शनिवार को भाजपा के सूरजनंदन प्रसाद के सवाल पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में अवैध रूप से पशुओं का वध करने की इजाजत नहीं है। इस संबंध में 2012 में ही आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए थे। इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी डीएम और एसपी से वैध बूचड़खानों की सूची मांगी गई है।

मंत्री ने आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 581 करोड़ रुपये का बजट सदन में पेश किया। सभी गौशालाओं में चारा उत्पादन की व्यवस्था की जाएगी। गौमूत्र से औषधि का निर्माण किया जाएगा। कहा कि बकरी एवं भेड़ विकास योजना के तहत पूर्णिया के मरंगा में बकरी पालन सह प्रजनन केन्द्र का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। 2067 एससी एवं एसटी समेत 4331 दूध उत्पादकों एवं समिति के सदस्यों को प्रदेश के प्रसिद्ध संस्थानों में गव्य विज्ञान तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 1750 स्वचालित दूध संग्रहण केन्द्र की स्थापना की जा रही है। 

यह भी पढ़ें: यात्रीगण कृपया जान लें, पटना जं. पर पुलिस के इन जासूसों की है आप पर नजर

एक्ट की उड़ाई जा रहीं धज्जियां
पशु संरक्षण एवं संवद्र्धन अधिनियम 1955 के तहत पशुओं का वध किया जा सकता है। मगर, एक्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि पंद्रह साल से अधिक आयु और शारीरिक रूप से अक्षम पशुओं का ही वध किया जा सकता है। इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में कम आयु के पशुओं का वध किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब डेढ़ सौ बूचड़खाने चल रहे हैं, जिसमें से आधा दर्जन को भी लाइसेंस नहीं है। बताया जाता है कि किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार में अवैध बूचड़खानों की संख्या सबसे अधिक है। पशुओं पर क्रूरता रोकने को लेकर डीएम की अध्यक्षता में हर जिले में कमेटी गठित है। जो पशुओं पर अत्याचार रोकने के लिए अभियान चलाती है। यह अभियान ज्यादातर पशुओं की तस्करी को रोकने तक ही सीमित रहता है।

यह भी पढ़ें: शार्ट सर्किट से लगी आग, ओडिशा में जिंदा जले बिहार के मजदूर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.