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रक्त नहीं मिलने से हुई बहन की मौत तो रक्तदान को बना लिया मिशन

गया। हर रक्षाबंधन पर उसे अपनी बहन की याद आती है। बहन तो नहीं रही, पर कोई और रक्त की कमी से मर न ज

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 12:09 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 12:09 AM (IST)
रक्त नहीं मिलने से हुई बहन की मौत तो रक्तदान को बना लिया मिशन
रक्त नहीं मिलने से हुई बहन की मौत तो रक्तदान को बना लिया मिशन

गया। हर रक्षाबंधन पर उसे अपनी बहन की याद आती है। बहन तो नहीं रही, पर कोई और रक्त की कमी से मर न जाए, इसके लिए नीरज ने रक्तदान को एक मिशन बना लिया। शेरघाटी का छोटा सा गांव है दक्खिन खाप। यहीं के एक किसान रामस्वरूप यादव के पुत्र नीरज कुमार ने 22 वर्ष की उम्र में अब तक 21 बार रक्तदान किया है। लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक भी कर रहे। इलाके के लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।

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बहन की मौत ने झकझोरा

पटना के एएन कॉलेज में पढ़ रहे नीरज को बहन की मौत ने झकझोर दिया। उसकी मौत समय पर रक्त नहीं मिल पाने के कारण हो गई थी। रिश्तेदार भी अस्पताल से बहाना बनाकर निकल गए थे। अब कोई सगी बहन नहीं, जो उसकी कलाई पर राखी बांधे।

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एनएसएस से मिली प्रेरणा

कॉलेज में चलने वाले राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) से प्रेरणा मिली। नीरज ने रक्तदान शुरू किया। राष्ट्र सेवा से जुड़कर कई अवार्ड भी हासिल किए। इतना ही नहीं, इसी साल दधीचि देहदान समिति, पटना को अपना शरीर भी दान कर दिया। नीरज कहते हैं कि मौत के बाद किसी का शरीर सात लोगों को जिंदगी दे सकता है। किसी की आंखों को रोशनी दे सकता है।

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साल में चार बार रक्तदान

नीरज बताते हैं कि कॉलेज में एनएसएस से जुड़ने के बाद स्वच्छता, पोलियो, पर्यावरण, पौधरोपण जैसे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते रहे। 2012 से 2017 तक 21 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे साल में चार बार रक्तदान करते हैं। यूथ कैटेगरी में दो बार पटना की संस्था ने मां वैष्णोदेवी अवार्ड दिया गया है।

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रक्तदान के लिए बना है ग्रुप

रक्तदान के लिए बने 8-10 ग्रुप से उनका संबंध है। पूरे भारत में कहीं भी किसी को ब्लड की जरूरत पड़ती है, तो उनका ग्रुप हरसंभव मदद करता है। इसमें कॉलेज के युवा वर्ग का समूह है। इसके लिए एक वेबसाइट भी है, जिसके माध्यम से रक्त प्राप्त किया जा सकता है। वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट बिहारब्लडकमाडो व वाट्सएप बिहार ब्लड कमाडोज पर मदद ली जा सकती है।

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180 बार रक्तदान का संकल्प

नीरज ने अपनी जिंदगी में 180 बार रक्तदान का संकल्प लिया है। वे कहते हैं, हर तीन माह में नया खून बनता है। इसलिए ब्लड डोनेशन से फायदा है। एक बार रक्तदान करने से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। भारत सरकार से उन्हें छत्तीसगढ़ के रायपुर में बेस्ट वालंटियर अवार्ड भी मिला है। वे राष्ट्रीय स्तर पर अपने कॉलेज की ओर से राजस्थान, कुल्लू मनाली, रायपुर व केरल में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

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