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वर्षा नहीं होने से महज तीन फीसद रोपनी

गया। कृषि विभाग ने जिले में 1.53 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा है, पर सावन माह के न

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 09:15 PM (IST)
वर्षा नहीं होने से महज तीन फीसद रोपनी
वर्षा नहीं होने से महज तीन फीसद रोपनी

गया। कृषि विभाग ने जिले में 1.53 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा है, पर सावन माह के नौ दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक जिले में मात्र तीन प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है।

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इसका मुख्य कारण जिले में अच्छी बारिश का नहीं होना है। यहां खेती पूरी तरह वर्षा पर आधारित है। वर्षा नहीं होने से किसानों में बेचैनी बढ़ने लगी है।

जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जिले में इस साल 1.53 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा गया है, पर अच्छी बारिश नहीं होने के कारण अभी तक मात्र तीन प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है। पिछले वर्ष भी सावन माह की शुरूआत में रोपनी कम हुई थी, पर आधा सावन के बाद रोपनी में काफी तेजी आई थी। शत प्रतिशत रोपनी कार्य पूरा हुआ था। इस साल भी प्रतिदिन तेजी आ रही है।

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प्रखडों में लक्ष्य

धान की रोपनी का लक्ष्य नगर प्रखंड में 7373 हेक्टेयर, मानपुर में 5530 हेक्टेयर, वजीरगंज में 8756 हेक्टेयर, खिजरसराय में 7373 हेक्टेयर, फतेहपुर में 8756 हेक्टेयर, टनकुप्पा में 4609 हेक्टेयर, अतरी में 3687 हेक्टेयर, मोहड़ा में 4148 हेक्टेयर, बथानी में 3687 हेक्टेयर, बेलागंज में 8756 हेक्टेयर, टिकारी में 10600 हेक्टेयर, कोंच में 5530 हेक्टेयर, गुरारू में 5530 हेक्टेयर, परैया में 4148 हेक्टेयर, गुरुआ में 4148 हेक्टेयर, बोधगया में 7834 हेक्टेयर, मोहनपुर में 8295 हेक्टेयर, बाराचट्टी में 5991 हेक्टेयर, डोभी में 5991 हेक्टेयर, शेरघाटी में 4148 हेक्टेयर, आमस में 4148 हेक्टेयर, बांकेबाजार में 5069 हेक्टेयर, इमामगंज में 7834 एवं डुमरिया में 5069 हेक्टेयर रखा गया है।

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क्या कहते हैं किसान

धान की रोपनी को लेकर रामाशीष सिंह, सुनिल कुमार मेहता, अशोक मेहता, शिमलेश सिंह, उमाशंकर सिंह आदि ने कहा कि डीजल पंप सेट व अन्य सिंचाई के साधनों से धान का बिचड़ा बचा रहे हैं। एक सप्ताह में वर्षा नहीं हुई तो बिचड़ा बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। किसानों के समक्ष बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाएगी। ----------

खेतों में गूंज रहा बरसाती गीत

किसानों ने डीजल पंपसेट व सिंचाई के अन्य संसाधनों से धीरे-धीरे धान की रोपनी का काम प्रारंभ कर दिया है। धान की रोपनी के साथ खेतों में बरसाती गीत गूंजने लगे हैं। दिन प्रतिदिन किसानों द्वारा रोपनी बढ़ाई जा रही है।


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