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सहस्त्रलिंग मंदिर से कोई भक्त खाली नहीं लौटा

गया। खिजरसराय बाजार में सैदपुर शिवाला के रूप में ख्याति प्राप्त यह शिव मंदिर स्थानीय लोगों के अला

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 09:05 PM (IST)
सहस्त्रलिंग मंदिर से कोई भक्त खाली नहीं लौटा
सहस्त्रलिंग मंदिर से कोई भक्त खाली नहीं लौटा

गया। खिजरसराय बाजार में सैदपुर शिवाला के रूप में ख्याति प्राप्त यह शिव मंदिर स्थानीय लोगों के अलावा दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था का प्रतीक है। मंदिर के गर्भगृह में सहस्त्रशिवलिंग विराजमान हैं। इस कारण इसे एक सहस्त्र: एक: महादेव शिवलिंग मंदिर कहा गया है। जिसके गर्भगृह में भगवान गणेश, गौरी पार्वती, नवग्रह, विष्णु, सूर्यदेव, लक्ष्मी, नंदी, के अलावा कृतिमुख विराजमान है। इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर की दीवार में पानी का छोटा टैंक बना है। जिससे जल बिना कोई तकनीक के स्वत: फुहारा के रूप में शिवलिंग पर जलाभिषेक होते रहता था। जो इन दिनों कतिपय कारणों से बंद है।

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मंदिर का इतिहास

मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों के पास कोई सटीक जानकारी नहीं है। जानकार बताते हैं कि जिस प्रकार इस यह सहस्त्रालिंग शिवमंदिर यानी एक ही शिवलिंग में सहस्त्र शिवलिंग का आकार बना है। शिवभक्त वाणासुर के द्वारा स्थापित करने की बात लोग बताते हैं। कारण कि वाणासुर मंदिर के कुछ ही दूरी पर एक दुर्ग बनाया। जहा वो अक्सर आया करता था। उस स्थल पर आज भी बाना गांव बसा है। इसके बाद धराउत गाव निवासी टेकारी महाराज गोपाल शरण के वकील रहे इस स्थान पर मंदिर बनवाया। इस मंदिर में सैदपुर गाव के रामकेश्वर सिंह ने लगभग 5 बिगहा जमीन दान दी थी।

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मंदिर की विशेषता

इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग के प्रति स्थानीय लोगों का गहरा लगाव है। आज भी इस मार्ग से गुजरने वाले हर कोई बाबा के आगे अपना सिर झुकाना नहीं भूलते। स्थानीय लोगों का मानना है कि सच्चे मन से मागी गई दुआ बाबा जरूर पूरा करते हैं।

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बोले पुजारी

अनिकेत पाडे पुजारी कहते हैं कि मंदिर के गर्भगृह में विराजमान शिवलिंग और इनके साथ विराजमान अन्य देवताओं के प्रति लोगों में श्रद्धा का ही परिणाम है कि दूर दूर से लोग पूजा अर्चना करने यहां आते हैं। जिस प्रकार मंदिर की जमीन अतिक्रमण कर बेच दिया गया है। आज भी अतिक्रमण कर रखा है। इससे मंदिर की व्यवस्था में परेशानी हो रही है।

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कहते हैं श्रद्धालु

गल्ला व्यवसायी अनिल कुमार कहते हैं कि मंदिर की देखरेख में जितना उनसे बन पड़ता है। उतनी करते हैं। आज भी मंदिर की जमीन और तालाब का अतिक्रमण है। इसे बचाना बेहद जरूरी है। इस मंदिर को और बेहतर बनाया जा सके। इसके लिए लोगों को आगे आना होगा।

धर्मेद्र-देवव्रत


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