'मेजर राज' का अंत करने की तैयारी
गया। पुलिस कप्तान को अपने जिले में प्रतिनियुक्त हर पुलिसकर्मी के बारे में पूरी जानकारी नही होती हैं
गया। पुलिस कप्तान को अपने जिले में प्रतिनियुक्त हर पुलिसकर्मी के बारे में पूरी जानकारी नही होती हैं। आरक्षी से लेकर हवलदार संवर्ग के पुलिसकर्मी पुलिस लाइन से कमान प्राप्त करते हैं। पुलिस लाइन में सार्जेट मेजर और मुंशी का अघोषित राज चलता हैं। पुलिस कप्तान को सार्जेट मेजर लाइन से लेकर जिला व अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त पुलिसकर्मी के बारे में जानकारी देते हैं। चूंकि सारी व्यवस्था मैनुअल होती हैं। ऐसे में संवेदनशील जिले के पुलिस कप्तान के पास स्वयं हर पुलिसकर्मी के बारे में जानकारी रखना एक चुनौती होती हैं। प्राय: एसएसपी/एसपी अपने सार्जेट मेजर के द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना को ही सामने रखकर निर्णय लेते है।
पुलिस मुख्यालय ने बिहार पुलिस को डिजीटल करने की योजना को मूर्त रूप देने का निर्णय लिया हैं। इसके लिए नोडल अधिकारी के रूप में रेल पुलिस के आईजी अमित कुमार को नामित किया गया हैं। आईजी श्री कुमार मगध एवं शाहाबाद रेंज के पुलिस अधिकारियों को गुरूवार को गया आकर बिहार पुलिस को मैनुअल के स्थान पर डिजीटल बनाने के लिए गुरू मंत्र देकर लौट गए।
जहानाबाद के आरक्षी अधीक्षक आदित्य कुमार ने आईजी श्री कुमार को बताया कि वे स्वयं अपने सार्जेट मेजर के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही पुलिसकर्मी को प्रतिनियुक्त करते हैं। कैमुर के एसपी हरप्रीत कौर ने डिजीटल पुलिस को लेकर होने वाले सकारात्मक पक्ष को सामने रखा। वहीं, रोहतास के पुलिस कप्तान मानवजीत सिंह ने आईजी श्री कुमार से कहा कि वे एक पखवारे के अंदर अपने जिले में मुख्यालय के आदेश को क्रियान्वित करा देंगे।
मगध क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक सौरभ कुमार ने आईजी श्री कुमार को बताया कि एक पखवारे के अंदर रेंज के सभी पांच जिला क्रमश: गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद एवं नवादा के हर पुलिसकर्मी का पूरा ब्यौरा कम्प्यूटर पर लोड कर दिया जाएगा।