बुद्धभूमि आकर जीवन धन्य हुआ
गया। बौद्ध धर्मावलंबियों के प्रमुख आस्था का केन्द्र बोधगया की भूमि को स्पर्श कर अविभूत हूं। यहां भगव
गया। बौद्ध धर्मावलंबियों के प्रमुख आस्था का केन्द्र बोधगया की भूमि को स्पर्श कर अविभूत हूं। यहां भगवान बुद्ध को नमन और पवित्र बोधिवृक्ष का दर्शन करने के पश्चात असीम शांति की अनुभूति हुई। उक्त मंतव्य म्यांमार के राष्ट्रपति यू हतिन क्याव शनिवार को बोधगया परिभ्रमण के पश्चात महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के स्वागत कक्ष में अतिथि पंजी में अंकित किया। अतिथि पंजी में उनकी पत्नी शु शु लविन ने भी हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति श्री क्याव इन दिनों भारत यात्रा पर हैं। उन्होंने अतिथि पंजी में आतिथ्य के लिए आभार अंकित किया और कहा कि यह यात्रा यादगार रहेगा। एक बौद्ध होने के नाते यह यात्रा उनके आस्था से जुड़ा है।
इसके पहले राष्ट्रपति व शिष्टमंडल दल की आगवानी एयरपोर्ट पर जिलाधिकारी कुमार रवि व एसएसपी गरिमा मलिक ने की। स्कूली बच्चों ने पारंपरिक तरीके से स्वागत गाकर स्वागत की। वहीं, बोधगया में बीटीएमसी के समीप भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा ने सभी को खादा भेंट किया। राष्ट्रपति सबसे पहले म्यांमार मोनास्ट्री गए। जहां उन्होंने प्रभारी भिक्षु ऊं न्यानिंदा महाथेरा से मिले और कुछ देर बैठकर उनसे वर्मीज भाषा में बातें की। उसके बाद महाबोधि मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने गर्भगृह में मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्वलित किया और चीवर चढ़ाया। पवित्र बोधिवृक्ष, अनिमेष लोचन, चंक्रमण पथ, रत्नागृह, अजपाल निरोध वृक्ष, मुचलिंद सरोवर व राजयतन का दर्शन किया जहां भगवान बुद्ध ने ध्यान-साधना काल व्यतीत किया था। मंदिर परिसर में उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे व्यतीत किया। वे मंदिर के प्रथम तल से पवित्र बोधिवृक्ष का अवलोकन भी किया। राष्ट्रपति, उनकी पत्नी व शिष्टमंडलीय सदस्यों को बीटीएमसी की ओर से डीआईजी सौरभ कुमार, डीएम कुमार रवि, सदस्य डा. अरविन्द कुमार सिंह ने खादा व प्रतीक चिन्ह भेंट किया। उसके बाद राष्ट्रपति व शिष्टमंडलीय सदस्य आदि शंकराचार्य मठ के बरादरी परिसर स्थित म्यांमार के तत्कालीन राजा मिडुमिन द्वारा बनाए मंदिर व 80 फीट विशाल बुद्ध प्रतिमा का दर्शन किया।