कुष्ठ मरीजों के 'घाव' पर 'मरहम'
गया। शहर के उत्तरी क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित गौतम बुद्ध कुष्ठ अस्पताल की जमीन पर से अतिक्रमण
गया। शहर के उत्तरी क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित गौतम बुद्ध कुष्ठ अस्पताल की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया। यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश के आलोक में गुरूवार को पूरी की गई। लेकिन सरकार कुष्ठ मरीजों एवं उनके आश्रितों के आशियाने को उजाड़े जाने के पहले ही उनके घाव पर मरहम लगाने की लगभग तैयारी कर ली थी। करीब 35 लोगों को न्यायालय के आदेश पर गुरूवार को बेघर कर दिया गया था। अब इन्हें पुनर्वासित की भी सोच रही है।
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प्रभावितों के बीच पहुंचा था प्रशासनिक अमला
हालांकि अतिक्रमण कर लोग यहां जो बसे थे। उन्हें 23 अगस्त को प्रशासनिक अमला इस बात को लेकर लगभग इत्तिला कर दिया था कि उन्हें हटा दिया जाएगा। लेकिन कुष्ठ मरीजों को व उनके परिजनों को यह अहसास नहीं था कि इतनी जल्द सबकुछ लूट जाएगा। बहरहाल, जो भी हो। अब यह सच है कि जब अतिक्रमण था। तब ही तो इन्हें हटाया गया।
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फूटा था लोगों का आक्रोश
हालांकि हटाये जाने को लेकर प्रभावित कुष्ठ मरीजों के परिवारों में जो आक्रोश था। वो एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया कही जा सकती है। प्रशासन भी इस बात की समझ रखती है। जिसका आशियाना या ठौर ठिकाना उजड़ेगा। वो तो थोड़ी बहुत गुस्सा करेगा हीं।
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सरकार की दिख रही उदारता
सरकार ऐसी निष्ठुर भी नहीं। सरकार उजड़े परिवार के लोगों के प्रति दयावान भी नजर आती है। तभी तो विस्थापित परिवार को पुनर्वासित कराने की दिशा में पहल करने की दिशा में अपने अधीनस्थ अधिकारियों से कहा है कि विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित करने की कार्रवाई की जाए।
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लगाई थी डीएम से गुहार
बताया गया कि विस्थापित कुष्ठ मरीजों के परिजनों को पता चला था कि न्यायालय के आदेश पर उन्हें हटाया जाएगा। तो एक शिष्टमंडल डीएम से मिलकर उनसे कहा था कि कुष्ठ मरीजों के पास रहने के लिए कोई अपनी जमीन नहीं है। ऐसे में उन्हें उजाड़े जाने से पहले कुछ दिनों का मोहलत दिया जाए। और उन्हें पुनर्वासित किया जाए।
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मरहम साबित होगा आदेश
सरकार के निर्देश पर यदि प्रशासन इस तरह का प्रयास कर रहे हैं। तो कुष्ठ मरीजों के 'घाव' पर पुनर्वास की व्यवस्था दे दी जाती है। तो एक 'मरहम' ही साबित होगा। जो उनके गहरे घाव को भरने के माफिक होगा।
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इनके उजड़ गए हैं आशियाने
जिन लोगों के आशियाने गुरूवार को अतिक्रमण हटाने के क्रम में उजाड़ दिए गए। उनकी संख्या 35 है। इनमें महेन्द्र रजक, कल्लू अंसारी, शुक्ल पाल, जानकी देवी, सुरेन्द्र साव, महेश मंडल, संतोष पासवान, ब्रह्मादेव पासवान, उमेश चंद्रवंशी, आरती देवी, विजय यादव, शंकर पासवान, फगुनी मांझी, रामचंद्र, गायत्री देवी, भरत साव, शिव कुमार, झुलन रजक, विजय साव, विकास कुमार, कुष्ण राम, अशोक चौधरी, लाल राज दास, जानकी मांझी, माधुरी देवी, महेश पांडेय, संतोष साव, रामजी प्रसाद, चंद्रदीप साव, बेबी देवी, रमेश प्रसाद, परमा प्रसाद, केवार राम, सुरेश साव तथा मंजू देवी का नाम शामिल हैं।
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कहते हैं नगर आयुक्त
''सदर अनुमंडल पदाधिकारी का एक पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है। जिसमें कुष्ठ मरीजों व उनके परिजनों को पुनर्वासित करने की दिशा में कार्रवाई को कहा गया है। लेकिन नगर आयुक्त का कहना है कि ये उनके न्यायिक अधिकार क्षेत्र के बाहर की विषय वस्तु है। किसी को पुनर्वासित करने की व्यवस्था नगर निगम के कार्य के दायरे में नहीं आता। बल्कि इसके लिए अलग से एक मंत्रालय के अधीन विभाग कार्य करती है।
विजय कुमार, नगर आयुक्त