काजू सिंह की संकल्प यात्रा पहुंची बुद्धभूमि
पृष्ठ-5, फोटो- 22 जेपीजी में कहा- गंदगी सभी बीमारियों का जड़ जागरण संवाददाता, बोधगया (गया): प्रसन
पृष्ठ-5, फोटो- 22 जेपीजी में
कहा- गंदगी सभी बीमारियों का जड़
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया): प्रसन्न सिंह उर्फ काजू सिंह वैसे तो झारखंड के रामगढ़ क्षेत्र के लिए जाना-पहचाना नाम है। जो पिछले कई वर्ष से सफाई अभियान चला रहे हैं। मानो उन्होंने गंदगी को साफ करने का संकल्प ले रखा हो। उनकी संकल्प यात्रा सोमवार को बुद्धभूमि बोधगया पहुंची। और इस अभियान से जुड़े उनके 13 सदस्यों ने सफाई अभियान का शुभारंभ दोमुहान से शुरू किया। उनकी सफाई अभियान की टीम वैसे समय में बोधगया पहुंची। जब नगर पंचायत के सफाई कर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए हैं। नगर पंचायत द्वारा भले ही सड़कों पर झाडू नही लगाया हो। इस कमी को काजू सिंह की टीम ने पूरी कर दी।
बतौर सिंह गंदगी सभी प्रकार की बीमारियों का जड़ होता है। गंदगी अगर घर या मुहल्ला में हो तो बीमारी को जन्म देता है। और इससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है। समाज में हो तो विभेद उत्पन्न होता है। वे कहते हैं कि अपनी टीम में 13 मजदूरों को लेकर आए हैं। जो गरीब परिवार से हैं। उन्हें सफाई कार्य कराने के एवज में प्रतिदिन के हिसाब से राशि का भुगतान करते हैं और अपने हाथों से बनाया खाना परोसकर खिलाते हैं। इससे उन्हें मानसिक व आत्मीय शांति मिलती है। वे कहते हैं कि जमा किया गया कचरा का साथ लेकर चलने वाले वाहन पर उठाव कर उचित जगह पर फेंकते हैं। इस कार्य में उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं। बल्कि लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि बोधगया ज्ञान व गयाजी मोक्ष की भूमि है। जहां देश-विदेश से लोग आते हैं। उन्होंने यहां के निवासियों से अपील किया कि अपने घर सहित आसपास में गंदगी न फैलाएं और न फैलने दें। कचरे का उचित जगह डस्टबीन है। उसे उसी में डालें।
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बाक्स में
बोधगया नगर पंचायत द्वारा बोधगया में सफाई का कार्य निजी संवेदक द्वारा कराया जाता है। जिस पर प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का व्यय होता है। लेकिन सोमवार से नगर पंचायत के सारे सफाईकर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए। जिसके कारण सफाई व्यवस्था चरमरा गई। सफाई कार्य का देखरेख करने वाले ने बताया कि मजदूरों की मांग साढ़े प्रतिशत बोनस का भुगतान और सेवा नियमित करने और सफाई व्यवस्था से ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की है। मजदूरों के हड़ताल से सड़कों पर झाडू नहीं पड़ा और डोर टू डोर कचरे का उठाव नहीं हुआ।