मेडिकल अस्पताल में अब तक एइएस के 9 मरीज भर्ती, 3 की मौत
गया। अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज सह अस्पताल में एक्युट इंसेफलाइटिस सिन्ड्रोम से ग्रसित मरीजों
गया। अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज सह अस्पताल में एक्युट इंसेफलाइटिस सिन्ड्रोम से ग्रसित मरीजों का आना जारी है। सोमवार को भी एइएस का एक और संदिग्ध मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ है। जिसका अस्पताल के शिशु रोग विभाग में इलाज चल रहा है। इस तरह से अब तक एइएस के कुल 9 मरीज इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हो चुके है।
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एइएस के 3 मरीजों की हो चुकी है मौत
एएनएमएमसीएच में इस वर्ष अब तक एइएस के भर्ती कुल 9 मरीजों में सें 3 मरीजों की मौत हो चुकी है। उक्त तीनों मरीजों की जांच रिपोर्ट नगेटिव आई है। जबकि एक अन्य मरीज की जांच रिपोर्ट भी नगेटिव आई है। बाकी पांच मरीजों की जांच रिपोर्ट माइक्रो बायोलाजी विभाग में प्रक्रिया में है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पायेगा की उक्त मरीजों में कौन सी बीमारी के लक्षण है।
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4 वर्षीय सुहाना का आईसीयू में चल रहा इलाज
जिले के बाराचट्टी प्रखंड के मंझियावां गांव निवासी प्रेमन मांझी की 4 वर्षीय पुत्री सुहाना का इलाज एएनएमएमसीएच के शिशु रोग विभाग के आईसीयू में चल रहा है। उक्त बच्ची कुछ दिन पहले इलाज के लिए भर्ती हुई है। पीड़ित बच्ची की मां नेहा देवी अपनी पुत्री की बीमारी के कारण सशंकित है। उन्होंने बताया कि 10 दिन पूर्व बच्ची को बुखार हुआ। स्थानीय चिकित्सकों के अलावा गया में दो निजी चिकित्सकों के यहां इलाज कराया। लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद बच्ची को मगध मेडिकल अस्पताल लेकर आये है। चिकित्सक तो ठीक इलाज कर रहे है। लेकिन मेरी बच्ची को क्या हुआ है? यह मुझे पता नहीं है। बस भगवान से यही मना रहे है कि मेरी बेटी को ठीक कर दे।
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23 जून से मरीजों का आना हुआ शुरू
मगध मेडिकल अस्पताल में एइएस के संदिग्ध मरीजों का आना विगत 23 जून से शुरू हुआ है। एइएस का पहला मरीज 23 जून को आया। जबकि 24 जून को 6 मरीज भर्ती हुये। 25 जून को कोई मरीज नहीं आया। 26 जून को एक मरीज भर्ती हुआ। वहीं 27 जून को भी एक मरीज भर्ती हुआ है। इस तरह से अब तक कुल 9 मरीज भर्ती हो चुके है।
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एइएस संदिग्ध पाये जाने पर कई तरह की होती है जांच
अस्पताल आने वाले मरीजों में अगर एइएस के संदिग्ध लक्षण पाये जाते है। तो ऐसे मरीजों की कई तरह की जांच कराई जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एइएस के मरीजों की सी.एस.एफ की जांच यानी मरीज के रीढ़ के हड्डी के पानी का सैंपल जांच के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा डेंगू, मलेरिया, जेई और एइएस के लिए खून, सीबीसी जांच, हीमोग्लोबिन, ब्लड सुगर की जांच की जाती है। अगर ये सारी जांच नगेटिव आती है। तो इस स्थिति में मरीजों को एइएस की श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह की जांच के लिए ही सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीएमआर विभाग बनाया गया है। जो शिशु रोग विभाग से संबंध रखते है। यह विभाग बच्चों की सारी जांच रिपोर्ट से लेकर समुचित इलाज एवं देखभाल करता है। पीएमआर विभाग के द्वारा ही मरीजों का फीजीयोथेरापी कराया जाता है।
'कहते है अधिकारी
अस्पताल आने वाले एइएस के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है। विगत पांच दिनों में अब तक 9 मरीज आ चुके है। जो भी मरीज आये है। उनका समुचित इलाज किया जा रहा है। मरीजों के लिए चिकित्सकों की पूरी टीम तैनात है। चिकित्सकों को एलर्ट कर दिया गया है। जेई और एइएस बीमारी के लिए दवाओं की पूरी कीट उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग से मिले दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन के अनुसार मरीजों को चिकित्सीय सेवा देने के लिए अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह तैयार है-
डा. सुधीर कुमार सिन्हा, अधीक्षक, एएनएमएमसीएच, गया । '