मन को वश में करता है जितेन्द्रीय : कौशिक जी
गया। आचार्य कौशिक जी महाराज ने कहा कि मन को वश में करने का सूत्र जितेन्द्रीय है। जिसका जीभ बिगड़
गया। आचार्य कौशिक जी महाराज ने कहा कि मन को वश में करने का सूत्र जितेन्द्रीय है। जिसका जीभ बिगड़ जाएगा। वह अपने इन्द्रियों को वश में नहीं कर सकता। उन्होंने इन्द्रियों को वश में रखने के लिए नमक का प्रयोग कम करने की सलाह दी। कौशिक जी महाराज इन दिनों बोधगया के कालचक्र मैदान पर श्रीमद् भागवत महायज्ञ में कथावाचन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोज व भजन आसन के बिना उपयुक्त नहीं होता।
उन्होंने यज्ञ की महता के बारे में कहा कि यज्ञ से विश्व का कल्याण होता है। यज्ञ में हुए आहूति से वातावरण भी परिष्कृत होता है। वैज्ञानिक भी इसे साबित कर चुके हैं। भागवत कथा के चार तत्व पर प्रकाश डाला। जिसमें श्रीकृष्ण को ब्रह्मा, सुकदेव को जीव, तक्षक को काल और परिक्षित को जगत बताया। दस लक्षणों की चर्चा करते हुए कहा कि सर्ग, विसर्ग, स्थान, पोषण, मनवंता, उष्णिक, इशाणु, निरोध व मुक्ति दस लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के तीसरे स्कंद में भगवान के भजन में जाति, धर्म, धन व रूप की बाध्यता वर्णित नहीं है। ईश्वर पर विश्वास और पाप कर्मो से भय रखें।