डेढ़ वर्ष बाद भी सुरक्षा उपकरणों की खरीद नहीं
गया। बोधगया स्थित विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में 7 जुलाई 2013 को सीरियल बम ब्लास्ट की घटना घटित हु
गया। बोधगया स्थित विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में 7 जुलाई 2013 को सीरियल बम ब्लास्ट की घटना घटित हुयी थी। उसके बाद स्थल का निरीक्षण करने आए केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील शिंदे ने राज्य सरकार की मांग पर महाबोधि मंदिर की सुरक्षा केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सौंपने की घोषणा की थी। घोषणा के तहत सीआईएसएफ के उच्च अधिकारी भी बोधगया का दौरा किए थे। वहीं, राज्य सरकार के गृह विभाग ने अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की खरीद हेतु गृह विभाग के अधिकारियों के उच्चस्तरीय बैठक में महाबोधि मंदिर में मोबाइल जैमर लगाने, एयरपोर्ट की भांति एक्सरे मशीन लगाने सहित अन्य उपकरण खरीदने को स्वीकृति प्रदान की गयी थी। बैठक के पश्चात सरकार ने 1.96 करोड़ की राशि को विमुक्त किया था। लेकिन गृह विभाग के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक व राज्य सरकार द्वारा राशि को विमुक्त करने को लगभग डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत गया। न तो महाबोधि मंदिर की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले हुआ और ना ही मंदिर परिसर में मोबाइल जैमर तथा ना ही एक्सरे मशीन लगा। यहां तक कि अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की खरीद पर भी ग्रहण लगा है। वैसे हाल के दिनों में महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति की ओर से अत्याधुनिक हैंड व डोर फेम मेटल डिटेक्टर की खरीदारी की गयी है। उसका उपयोग मंदिर की सुरक्षा में तैनात बीएमपी के जवान कर रहे हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन गृह विभाग के प्रधान सचिव द्वारा महालेखाकार को संबोधित पत्र भी तत्कालीन एसएसपी निशांत कुमार तिवारी को प्राप्त हुआ था। और इस संबंध में एसएसपी ने महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति सदस्यों के साथ बैठक कर जानकारी दी थी। और कहा गया था कि शीघ्र ही सुरक्षा उपकरणों की खरीद की जाएगी। इस संबंध में बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे कहते हैं कि यह मामला केन्द्र व राज्य सरकार स्तर का है। समिति अपने स्तर से हाल के दिनों में सुरक्षा उपकरणों की जरूरत के हिसाब से खरीदारी की है।