पौराणिक स्थलों की ली जा रही सुध
गया। बोधगया में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान अब पौराणिक स्थलों की सुध लेने ली जा रही है। यह ज
गया। बोधगया में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान अब पौराणिक स्थलों की सुध लेने ली जा रही है। यह जिला प्रशासन व बीटीएमसी की संयुक्त रूप से सकारात्मक पहल है। जरूरत पहल के साथ-साथ वैसे पौराणिक स्थलों को विकसित कर पर्यटन मानचित्र पर लाने की है। ताकि बोधगया आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक वैसे स्थलों के इतिहास से अवगत हो सके और उन स्थलों का परिभ्रमण कर सकें। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
यहां यह बता दें कि बौद्ध महोत्सव के दौरान 'बुद्ध के पदचिन्हों का अनुसरण' करने हेतु ढुंगेश्वरी से महाबोधि मंदिर तक पैदल यात्रा की शुरूआत गतेक वर्ष से की गयी है। जिसका नामकरण 'ज्ञान यात्रा' दिया गया है। इस यात्रा में काफी संख्या में बोधगया स्थित विदेशी बौद्ध मोनास्ट्री के भिक्षु, बोधगया के विभिन्न संगठन, जिला के पदाधिकारी सहित आमजन की हिस्सेदारी होती है। इस दौरान घोषणा भी होती है। लेकिन घोषणा पर अमल नहीं किया जाता है। वहीं, बुद्ध जयंती के अवसर पर गतेक वर्ष से बकरौर ग्राम स्थित सुजाता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की शुरूआत महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा किया गया है। इस सकारात्मक पहल में समिति का साथ विदेशी बौद्ध श्रद्धालु भी दे रहे हैं। इस वर्ष बुद्ध जयंती के अवसर पर बुद्ध जयंती समारोह के थाईलैंड के मुख्य दानदाता ने मोचारीम गांव स्थित प्राचीन मुचलिंद सरोवर की सुध ली। हालांकि यहां पर्यटन विभाग द्वारा विकास का कार्य संचालित है। लेकिन उसकी गति कछुआ चाल वाली है। बहरहाल थाई दानदाताओं ने यहां गरीबों के बीच अन्न व राशि दान किया।