बौद्ध दर्शन-सिद्धांत के प्रति विश्व का रूझान : अम्बेडकर
पृष्ठ-5, फोटो- 06जेपीजी में पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में मनाया गया 125 वीं अम्बेडकर जयंती काटा ग
पृष्ठ-5, फोटो- 06जेपीजी में
पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में मनाया गया 125 वीं अम्बेडकर जयंती
काटा गया लगभग 125 किग्रा का केक
अनागारिक धम्मपाल व बाबा साहब समान विचारधारा के
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया): बाबा साहब डा. भीम राव अम्बेडकर के पौत्र प्रकाश अम्बेडकर ने कहा कि बौद्ध दर्शन व सिद्धांत के प्रति विश्व का रूझान आया है। बौद्ध स्थलों के प्रति बौद्ध धर्मावलंबियों की जिज्ञासा बढ़ी है। विश्व में व्याप्त अशांति को बुद्ध के उपेदश से दूर किया जा सकता है। उक्त बातें अम्बेडकर शनिवार को बोधगया में बाबा साहब के 125 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। बाबा साहब की 125 वीं जयंती समारोह विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में महाबोधि चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित था। इस अवसर पर लगभग 125 किग्रा का केक अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से काटा गया। जिसे प्रसाद स्वरूप बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया। इसके पूर्व महाबोधि सोसाइटी में अनागारिक धम्मपाल व जय प्रकाश उद्यान में बाबा साहब के प्रतिमा पर अतिथियों ने माल्यार्पण किया।
श्री अम्बेडकर ने कहा कि देश में बदलाव की राजनीति चल रही है। इसलिए अब राजनीतिक पार्टियां भी बाबा साहब की जयंती मनाने को आतुर है। उन्होंने आरएसएस पर चुटकी लेते हुए कहा कि आरएसएस के लिए बाबा साहब के विचार को व्यवहारिक रूप में स्वीकार करना एक चुनौती है। पहले वे संस्थापक सदस्य के दो पुस्तकों का अध्ययन करें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मगध प्रक्षेत्र के आयुक्त लियान कुंगा ने कहा कि बाबा साहब ने संविधान की परिकल्पना को साकार किया। उन्होंने समाज में पिछड़े व दबे-कुचले को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया। कोई भी धर्म विभेद की अनुमति नहीं देता है। उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर भारत का धरोहर है। इसके सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मैं यहां आकर भिक्षुओं के चेहरे पर मुस्कान देखता हूं तो शांति की अनुभूति होती है। भंते डी रेवत थेरो ने केक काटने पर चुटकी ली और कहा कि यह पहला मौका है। जब केक काटा गया है। इस अवसर पर बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे, सदस्य डा. अरविन्द कुमार सिंह, भिक्षु प्रज्ञादीप ने संबोधित किया। स्वागत भाषण करते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष भिक्षु हर्ष बोधि ने कहा कि अनागारिक धम्मपाल व बाबा साहब समान विचारधारा के थे। क्योंकि बाबा साहब के जन्म वर्ष पर ही महाबोधि सोसाइटी की स्थापना अनागारिक धम्मपाल ने की थी। और महाबोधि सोसाइटी से बाबा साहब का गहरा लगाव रहा। उन्होंने राज्य सरकार व बीटीएमसी से दोनों की प्रतिमा मंदिर के समीप लगाने की मांग की।